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अहुरमज्द सप्तधा होकर इन सात लाकोंका शामन करता है। इन मात असुरोको अमेष रेन्त ( अमर हितकारी ) कहते हैं। सातों कधरों के नाम अर्जहे सबहे मधफ्रगु-बियफश कौरूवरश्ति
रजरे श्वित. रव्यनिरथ हेतुमन्त अशि और इनके मात असुके नामबहुमनो अशहिश्त. नेत्रत्रैर्य. स्पेन्त, आमैं त. हीतार, और अमरतार हैं । भर्लोक का रस्त्रनिरथ हैं। इसके स्वामी सवय हैं। जल और प्रकाश के लिये जैमा निरन्तर युद्ध वेदों में दिस्य लाया गया है। केसा ही अवेस्ता में वपिति है। कहीं तो रश्वतेना के प्रकाश के लिए पातर ( अग्नि ! और अजि ( अनि ) दहा के में लड़ाई होती है, कहीं अपौष वर्षों को रोक लेता है. तित्रत्र्य उसस से लड़ते हैं । पहिले हार जाते हैं. फिर यज्ञ से बल प्राप्त करके उसे अपनी गदा, अग्नि रूपी वाज़िश्त, से मारते हैं और फिर मरुती के बताए मार्ग से जल बह निकलता है ।
वेतन की कथा अत्रेस्ता में भी है। वह जिस रूप में है उसमें वेतन और त्रिन आप्त्य दोनों की कथाओं का मल है । इसमें भी अनुमान होता है कि वेतन और त्रित अाध एक ही है। अवेश्ता के अनुसार थू तीन अथव्य से ऋशि बहाक ( अहिदैत्य ) की जा स्वाष्ट्र की भांति तीन सिर और छः ऑख वाला था. चतुष्कोण घरेण (वरुण श्राकाश) में लड़ाई हुई। थे नोनने अहिको मारहाला"
महाप्रलयाधिकरण _ 'यातो विशेष कारणों से किसी व्यक्ति को किसी समय भी मीद लग सकती है किन्तु कुछ ऐसी परिस्थिति होती है कि रात में एक ही समय लाखो मनुष्य सोये देख पड़ते हैं । सब एक दूसरसे पृथक हैं पर सबके व्यक्तित्व खोये हुए से रहते हैं। कभी कभारमा होता है कि पेसी अवस्था दीर्घकाल के लिए बहुत से जीवों की हो