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पूर्वोक्त अवस्थाकीली सूचना करता है। जो कमा चमड़ा पहनने : " वाला है वहीं स्वोपड़ीके बर्तन उपयोगमें ला सकता है। दूसरा न नहीं लायेगा । मिट्टी, साँधे, पीतल के बर्तनोंका संबंध ऊनी या सूती कपड़ोंके साथ ही है। जिस सभ्यतामें कपड़ोंका स्थान चमड़े । में लिया है उसी में बनीका स्थान लोपड़ा ले सकती है। ___ इसीके साथ "कण्डमाला धारी" यह शब्द भी देखने योग्य है. खोपड़ियों अथवा हमियोंकी माला पहनने वाला; हाइयोंके . टुकड़े ही श्राभूषणोंके स्थानम बरतने वाला । यह शब्द भी । पूर्वोक्त सभ्यताके युगका सूचक है।
इसके साथ खड़वांगपाणि" शब्न देखने योग्य है। इसका अर्थ है-खटियाका भाग हाथमें धारण करने वाला" अर्थात् शास्त्र के रूप में स्वटियाकी लकड़ी बनने वाला । इस शरदके साथ बलरामजी का वाचक "मुसली. हली, इलायुध' :आदि शठन भी विचार करने योग्य हैं 1 चावल साफ करने का मूसल, भूमि हलन का हल इनके शस्त्र वर्तने वाला बलराम था। अर्थात साधारण घरके कायम आने वाले पदार्थ मूमल हल या चरपई आदि उन्हींको शस्त्र के स्थान पर वर्तने बाला। इलका उपयोग शस्त्रके समान करने के लिय तथा चारपाईका उपयोग शस्त्र के समान करने के लिये प्रचण्ड शक्ति चाहिय इसमें संदेह नहीं है, परन्तु यहाँ हम देख रहे है कि जो सभ्यता विविध माधनोंके बर्तन के कारण समझी जाती है उस सभ्यताको अपेक्षा इनकी सभ्यता किस दर्जे पर थी । विचार करने पर पता लग सकता है कि वे महापुरुष उस सन्तताके समयके हैं कि जिस समय लोग वलोंके स्थान पर धर्म, बर्तनोंके स्थान पर खोपड़ियाँ बर्तते और शस्त्रों के स्थान पर चारपाईकी लकड़ियाँ भी उपयोग में लाले थे।
यद्यपि महादेवके शास्त्रों में हम देखते हैं कि इनके पास