________________
( ४२४ )
अष्टौ पुत्रासौ श्रदितेर्जातास्वन्वस्परि ।
देव उपप्रैरसप्तभिः परामार्ताण्डमास्यत् ।। (ऋ०१० |७२/८) अर्थ - अदित के शरीर से जो आठ पुत्र उत्पन्न हुए उनमें से सात पुत्रों के साथ अदिति स्वर्ग में देवताओं के पास गई, आठवाँ पुत्र जो मार्तण्ड = ( मृतावाज्जात इति मार्तण्ड :) (सूर्य) था उसे स्वर्ग में छोड़ गई ।
अदिति के आठ पुत्रों के नाम
२
३
fear aors, घाता चार्यमा च ।
६
y
अंशथ भगश्च इन्द्र विवस्वाशेत्येते ॥ ( तै००१ | १३ | १० )
अर्थ- प्रसिद्ध है, विवस्वान् अर्थात् सूर्य ।
तदिदास भुवनेषु ज्येष्ठं यतो जज्ञ उग्रस्त्वेष नृम्यः । सद्यो जज्ञानो निरिणाति शत्रूननु यं विश्वे सदन्त्यूमाः ॥ ( ऋ० १० । १२० । १)
अर्थ-जीनों लोक ज्येष्ठ प्रशस्त या सबसे प्रथम जगत् का आदि कारण वह ( प्रजापति ) था, उसने सूर्य रचा और उस सूर्यने उत्पन्न होते ही शत्रुओंका संहार किया । उस सूर्यको देख कर सभी प्राणी प्रसन्न होते हैं।
छांदोग्योपनिषद् ३ १ १६ में लिखा है :
प्रसदेवेदमग्र आसीत् ।
अर्थ- सृष्टिसे पहले प्रलय काल में यह जगत् असद्' अर्थात् था