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हित करने वाला, (२) पिता -- पाता, पालक, संरक्षक, (३) भ्राता -- भरण पोषण करने वाला ( ४ ) स्वसा -- ( सु-असा ) उत्तम प्रकार रखने वाला (५) आचार्य श्रात्मिक गुरु है क्यों कि प्राण के आयाम से आत्मा का साक्षात्कार होता है इसलिये, (३) ब्राह्मण:- यह ब्रह्म के पास ले जाने वाला है ।
तीन लोक
वामेवायं लोकः मनो अंतरिक्ष लोकः प्राणोऽसौ लोकः
( ० १ ५१४ )
"वाणी है और वह स्वर्गलोक है।"
पंच मुखी महादेव
प्राणापानौ व्यानो दानौ || ( श्र० ११।८।२६)
यहां प्राण, अपान व्यान, उदान आदि नाम आगये हैं। प प्राणोंके नाम वेदमें दिखाई नहीं दिये। किसी अन्यरूपसे होंगे, दो पता नहीं। यदि किसी विद्वानको इस विषय में ज्ञान हो, तो उसको प्रकाशित करना चाहिये। पंच प्राण ही पंचमुखी रुद्र हैं। रुद्रके जितने नाम हैं, वे सब प्राणवाचक ही हैं। महादेव शम्भु आदि मन रुद्र के नाम प्राण वाचक है। महादेव के पांच मुख जो पुराणों में हैं। उनका इस प्रकार मूल विचार है। महादेव मृत्युंजय कैसा है, इसका यहां निर्णय होता है। शतपथ में एकादश रुद्रों का वर्णन है।
कतमे रुद्रा इति । दशेमे पुरुषे प्राणा श्रात्मैकादशः ।
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(शत० प्रा० १४/५ )