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निवासियों की रक्षा असुरराक्षसादिकका पराभव करके करते थे। इसलिये इन्द्रकी अपेक्षा नारायण लपेन्द्र पर प्रेम भारतनिवासियों का अधिक था। क्योंकि इन्हींका साक्षान् संबंध भारतीयोंसे सदा होता था और भारतीय जनता अपने दुःख इनके पास जाकर ही सुनाती थी, भगवान सम्राट इन्द्र के पास साधारण जनताकी पहुंच नहीं थी। इसी लिय, झान्य देवोंकी अपेक्षा उपेन्द्र नारायण पर भारतीय जनता की कि अधिक की। ब्रह्माक किंवा अनदेशक ब्रह्मदेव. भूतलोक किंवा भूतानके ईश महादेव, ये भी नारायण उपेन्द्रको ही शरण लेने थे और उनकी प्रार्थना करते थे कि आप कृपा करके भूमि निवासिय-कीरती करें ।" क्योंकि सब जानते थे कि ये ही सबसे अधिक सामर्थ्यवान हैं और आर्यावर्तमें सदा आने जाने के कारण यहाँको अवस्थाका उनको ही पूरा पता है । भूमि. हिमगिरीकी बढ़ाई और ऊपरला त्रिविष्टप प्रदेश इन तीनों प्रदेशों में विक्रम अर्थात् पराक्रम ये करते थे इसी लिये इनका "त्रिविक्रम" नाम था। पूर्वोक्त तीनों स्थानोंको "त्रिपथ" किंवा तीन मार्ग कहा जाता था। भारतका भूपथ, हिमालयका गिरिपथ और त्रिविष्टपका धुपथ ये तीन पथ अर्थान् तीन मार्ग थे, इन पाने गुजरनेके कारण ही गंगा नदीका नाम 'त्रि-पथ-गा" अर्थात् पूर्वोक्त तीनों मार्गोंसे गुजरने वाली नदी है। इन तीनों प्रदेशोंमें विक्रम करने वाले पूर्वोक्त उपेन्द्र ही थे। इस कार्यके लिये देवोंके मुख्य इन्द्रको फुरसत नहीं थी। अब हमें देखना चाहि कि उपेन्द्र विष्णु क्रिस युक्तिसे यह कार्य करते थे
। . .. विष्वक्सेन .. उक्त बात पूर्णतासे ध्यानमें आने के लिये "विष्वक्सेन" यह विष्णुका अथवा उपेन्द्रका नाम बड़ा सहाय्यकारी है। इस