________________
I
..
1) महादेव
पं० शिवशंकरजीत देवेभिक पार सिद्ध किया है।
र
'अर्थाने घन है।
( ३२६ )
२
r
7
'त्रिदेव निर्णय' में रुद्र ( महा
रुद्र आदि नामों से अधिक हो आलंकारिक
कई विद्वानोंका मत है कि शिव सँगकी जो जलेरी है वह यज्ञ
शिखाका रूपान्तर हैं।
कुण्डका ही विकृतरूप है, तथा लिंग 21. बेडसे भी इस मतकी पुष्टि होती है ।
13 Ko
::
: 4
./
( त्वमग्ने रुद्रः ) ऋ० २.१६
तस्मै रुद्राय नमोस्त्वग्नये । ००७८७१ वन मन्त्रों में स्पष्टरूप से अको कहा गया है।
निरुक्त और रुद्र
rama रुद्रको मध्य स्थानीय देवता माना है । यथावायुः, वरुणे, रुद्रः, इन्द्र, पर्जन्य, वृहस्पतिः, ब्रह्मणस्पतिः, ये सात मध्यम स्थानीय देवता हैं। इनमें वायु मुख्य है ।
-
यंदरुदत तद् रुद्रस्य रुद्रम् (काकति)
: यदरोदीत् तद्रुद्ररुष रुद्रन् । (यह हारिद् वि श्रुति)
अर्थात् जो रोया से ट्रक केंद्रपना है।
इन श्रुतियी के अनुसार इतिहास भी है कि वह रुद्र अप पिता प्रजापतिको बाणों से बिधने हुये देखकर शोकसे सेवा श्र इससे इसका नाम रुद्र प्रसिद्ध हुआ।