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कौशिक 'इन्द्र'
धातू न इन्द्र कौशिक मन्दसानः सुतं पिव || ऋ० १० । १ । १२
अर्थ – हे कौशिक इन्द्र ! हमारे पास आ, आनन्दसे सोमरस
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का पान कर । यहाँ इन्द्रको कौशिक कहा गया है। कौशिक शब्द का अर्थ होता है ' कुशिक' का पुत्र । अतः यह सिद्ध होगया कि 'इन्द्र देवता' कुशिक ऋषिके पुत्र थे। विश्वामित्र ऋषि भी कौशिक थे। क्योंकि ये भी कुल दे विश्वामित्र के पिताका नाम 'गावी' था तथा 'गांधी' के पिता कुशिक' थे। इसी प्रकार इन्द्रदेव भी कौशिक थे। पं० सातवलेकरजाने 'कोशिक' शब्दका अर्थ "कौशिकों की सहायता करने वाला देव" ऐसा किया है ऐसा मानने से भी इन्द्रदेव ईश्वर नहीं रहते अपितु एक देवता विशेष ही रहते हैं। तथा च ये देवता तिब्बतमें रहने वाली एक मनुष्य जाती ही थी यह अपने सिद्ध किया ही है, अतः दोनों में विशेष अन्तर नहीं है। यहां यह भी सिद्ध हो गया कि वैदिक समय में भी वर्तमान समयकी तरह हो पृथक २ कुल पृथक २ देवता थे ।
देवों के लक्षण
(ऋ० मं० १ सूक्त १४, में ) देवों के लक्षण किये गये हैं।
( १ ) 'यजत्रा' सतत यज्ञ करने वाले, याजक प्रशस्त कर्म करने वाले ।
( २ ) ( ईड्याः ) -- प्रशंसा करनेके लिये योग्य ।
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