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- भगवतीचे
यत् ते लोकपाला विकुर्वणाशतया निष्पादित निजानेकासुरकुमारापुरसुरकुमारीभिः संख्येयद्वीपसमुद्रान व्याप्तुं भर्तु शक्नुवन्ति नतु असंख्येयान द्वीपसमुद्रान् इत्याशयेनाह - 'लोयपाला तहेव चणवरं संखेना' इत्यादि । नवरं शो विशेषार्थकः । विशेषता च तेषां लोकपालानाम् सामानिकमात्रिकापेक्षा उपर्युक्त । परन्तु तेषां विकुर्वणाशक्तेः विषयमाश्रमेतत्मतिपादितम् स्वरूपमात्र मेतावदुक्तम्, अर्थात् तेवा मेतावत्सामध्ये वर्त्तते यत् विकर्वणाशतया क्रियसमुद्घातेन समवहताः सन्तो निप्पादितनि जानेकरूपैः संख्यातान् द्वीपसमुहान
ऋद्धिसे युक्त हैं, किन्तु सामानिक एवं वायस्त्रिंशक देवोंकी अपेक्षा इनमें इतनी विशेषता है कि ये लोकपाल विकुर्वणा शक्ति द्वारा निष्पादित अनेक असुरकुमारोंसे और देवियोंसे संख्यात द्वीपों और संख्यात समुद्रोंको ही भर सकने में समर्थ है असंख्यात द्वीप समुद्रों को नहीं । यही यात 'लोयपाला तदेव पावरं संखेज्जा' इस सूत्र पाठ द्वारा प्रदर्शित की गई है। यहां जो नवरं शब्द है वह विशेषार्थक है और इन लोकपालोंमें जो सामानिक एवं प्रायत्रिंशक देवोंकी अपेक्षा विशेषता है वह ऊपर में प्रकट की जा चुकी हैं। विकुर्वणा शक्तिका इन सबकी जो इस प्रकार का यह कथन किया गया है वह मात्र उसके स्वरूप को कहने के निमित्त ही प्रकर किया गया हैं अर्थात् इनकी विकुर्वणा शक्ति की इतनी ताकात है यही कहा गया हैं । तात्पर्य यह है कि यदि ये लोकपाल विकुर्वणा शक्ति जनित वैक्रिय समुद्धात से युक्त होकर जो अनेक असुर
તે પણ એજ પ્રકારના વિમાન પરિવાર આદિપ અતિશય મહાન સૃદ્ધિ આદથી યુકત છે. પણ સામાનિક દેવા અને ત્રાયસ્પ્રિંશક દેશ કરતાં તેમનામાં શી विशिष्टता छे ते नीयेना सूत्रभां णताव्यु छे - लोयपाला तहेव णवरं "संखेज्जा" ઇત્યાદિ લેાકપાલ દેવે પોતાની વિધ્રુવણુા શક્તિ દ્વારા નિર્મિત ` અનેક અસુર કુમાર દેવ દેવીઓ વડૅ સંખ્યાત દ્વીપે અને સમુદ્રોને ભરવાને સમ છે અસ ખ્યાત દ્વીપ સમુદ્રોને ભરવાને સમર્થ નથી આ સૂત્રમાં "वरं " પદ વિશિષ્ટતા ખતાવે છે તેમની વિકુવા શકિતન ઉપર જે વર્ણન આપવામાં આવ્યું તે તેમનું આપ્યું છે. પણ ખરેખર તા તેમણે કદી
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સામર્થ્ય
પશુ
संतापवाने भाटे
આ પ્રકારની વિકા
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