Book Title: Bhagwati Sutra Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1125
________________ ममेयचन्द्रिकाटीका व ३०उ ८मृ. १ भत्रनपत्यादिदेवस्वरूपनिरूपणम् " ८६३ भूआणदे '१ भूतानन्द. ' नागकुमारिंदे' नागकुमारेन्द्र. 'नागकुमारराया ' नागकुमारराज, तल्लोक्पालानाह' वालवाले' २ पालपाल' 'पोलवाछे' ३ कोलपाल 'सखवाले४' शङ्खपाल, 'सेलवाले' शैलपालश्च । एते धरणेन्द्रादय दश देवा नागकुमारा देवानामाधिपस्यादिक कुर्वन्तो विहरन्ति । जहा - 'नागकुमारिंदाण' यथा नागकुमारेन्द्राणाम् 'एआए वचन्त्रयाए' अनया उपर्यु तया वक्तव्यतया 'नेयन्त्र' ज्ञातव्यम् प्रतिपादितम् 'एव तथैव 'इमाण नेयन्त्र' एपा वक्ष्यमाणाना देवानामपि ज्ञातपम् चेतिव्यम्, तथाहि 'सुवष्णकुमाराण' सुवर्ण कुमाराणाम् उपरि दश देवा अधिपत्यादिक कुर्वन्तो विहरन्ति । ‘वेणुदेवे’ वेणुदेव. 'वेणुदाली' 'वेणुदालियेति द्वौ सुवर्णकुमारेन्द्रौ स्त, 'वेणुदेवे '१ वेणु देवेन्द्र तस्य लोम्पालाश्चत्वार 'चिते' [चत्र 'विचित्ते' ३ विचित्र 'चित्त पक्खे' ४ चित्रपक्ष 'विचिचपक्खे' ५ विपक्ष, ' वेणुदाली' वेणुदालीन्द्र तस्य लाक्पालाश्चत्वार तनामका एत्र 'चित्ते' २ चित्र 'विचित्ते' ३ विचित्र, 'चित्त पक्खे' ४ चित्रपक्ष 'विचिचपवखे ८ विचित्रपक्ष तथा 'विज्जु जहा नागकुमारिदाण एयाए वसन्नयाए 'नेयन्वं' जिस प्रकारसे नाग कुमारोंके इद्रोंके विषयमें यह प्रतिपादन किया है 'एव' वैसा ही प्रतिपादन 'इमाण नेयष' इनवक्ष्यमाण देवों के इन्द्रोंके विषयमें भी जानना चाहिये । जैसे 'सुवण्णकुमाराण' सुवर्णकुमारोंके ऊपर अधिपनित्य करनेवाले 'वेणुदेये वेणुदाली चिसे, विश्विशे, चित्तपक्खे, विचिपखे' पेणुदेवेन्द्र और वेणुद्रालोन्द्र है । ये दो सुवर्णकुमारों के इन्द्र है । इनके धारलोक 'चित्र, विचित्र, चित्रपक्व, और विचित्रपक्व' ये है । अर्थात् वेणुदेवेन्द्र के भी इन्हीं नामके चार लोकपाल है और वेणुगीन्द्र भी इन्हीं नामके चार लोकपाल है । इस प्रकार वेणुदेव आदि १० देव सुवर्णकुमारोंके ऊपर आधिपत्य आदिक करते है । नागकुमारिदाण एयाए बत्तन्ययाए नेयन्त्र' नागकुमार देवीना इन्द्रोना विषयभा उपर्युक्त ने प्रतिपादन ४ 'एन' मेन अतिपाहन 'उमाण ने पच्च' नाथे ध्ाविद्या देवाना ईन्द्रोना विषयमा समन - 'सुवण्णकुमाराण' सुवर्षानुभाश उपर अधिपतित्व आदि नारा वेणुदेवे, वेणुदासी - चित्ते, विचित्ते, चिपखे, विचिपखे' इस देवो नीचे प्रभा है [१] वसुदेवेन्द्र भने [२] વેશ્લીન્દ્ર એ એ સુવર્ણ મારાના ઇન્દ્રી છે તે દરેક ઇન્દ્રના ચાર, ચાર લોકપાલો[૩ થી ૧૦] ચિત્ર વિચિત્ર, ચિત્રક્ષ અને વિચિત્રપક્ષ [બન્નેના ચાર લોકપાલીના નામમા કેઈપણ જાતના તાવત નથી] આ રીતે એ ઇન્દ્રો અને તેમના માટે વાકપાલો સુવર્ણ કુમારે પર અધિપતિત્વ પૌરપત્ય, ભર્તૃત્વ આદિ કરતા હોય છે 4 ·

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