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प्रमेयचन्द्रिका टीका श ३ उ ८ स् १ भवनपत्यादिदेवस्वरूपनिरूपणम्
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रूपश्व, यक्षेन्द्रौ - 'पुण्णमय अमरवई माणिभद्दे' पूर्णभद्र, अमरपति, माणिभद्रव, राक्षसेन्द्रो 'भीमे तहा मुहामीमे' भीमस्वया महाभीमथ, किन्नरेन्द्र- 'फिभर किंपुरिसे खल' किन्नर, किम्पुरुपच खल्लु, किम्पुरुपेन्द्रौ 'सप्पुरिसे खलु तडा महा पुरिसे' सत्पुरुष, खलु तथा महापुरुष महोरगेन्द्रौ - 'अइकाय महाकाए' अतिकायः महाकाय, गन्धर्वेन्द्रौ - गीभरईचेव गीभजसे' गीवरति गीतयशाचैव; 'एए वाणमतराण देवाण' 'एते उपर्युक्ता वानव्यन्तराणां देवानाम् इन्द्रा वतन्ते । अत्र लोकपाला न भवन्ति पत्र ' जोइसिआण' ज्योतिषिकाणाम् 'देवाण' देवाहे । ' सुख्वपडिरूव ' सुरूप और प्रतिरूप ये दो इन्द्र भूतोंके है । ' पुण्णमद्देय अमरवई माणिभद्दे ' पूर्णभद्र और अमरपति, माणिभद्र ये दो इन्द्र यक्षोंके है । भीय तहा महाभीमे य' मीम और महाभीम ये दो इन्द्र राक्षसो के है, किन्नरकिंपुरिसे खलु किन्नर और किं पुरुष ये दो इन्द्र किन्नरोंके है । ' मप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे' सत्पुरुप और महापुरुष ये दो इन्द्र किं पुरुषोंके हैं। 'अहका महाका' अतिकाय और महाकाय ये दो इन्द्र महोरगो के हैं । ' गीयरई चेव गीयजसे' गीतरति और गीतयश ये दो इन्द्र गन्धव के है । 'एए घाणमतराण देवाण' ये पूर्वोक्त इन्द्र मानव्यन्तर देवों के है । ' लोकषर्ज्या व्यन्तरज्योतिष्का ' के अनुसार यहा व्यन्तर निकाय में लोकपाल नहीं होते हैं। इस लिये दो दो इन्द्र ही व्य न्तरोंके ऊपर आधिपत्य करते है । ' जोइसियाण देवाण दो देवा पिशायना में इन्द्री के 'सुरूष पढिरूष' सुप भने प्रतिश्य को भूतोना ने इन्द्रोछे 'पुष्णमद्देय अमरवईमाणिमद्दे' बाद्र अने समश्यति मालिभद्र, मे यक्षोना એ ઇન્દ્રો છે
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'मीमे य वा महाभीमेय' श्रीभ भने महालीम को राक्षसोना मे इन्द्र छे 'किरकिंपुरिसे खलु' ठिन्नर भने हि पुरुष, मेशिना ने छे 'सप्पुरिसे स्वछ वहा महापुरिसे' सत्पुरुष भने महापुरुष मे ठिपुरुषोना में इन्द्रो 'अइकाय महाकार' अतिमय भने महामायो महोरगोना में न्द्रो छ 'गोपरई चेत्र गीयनसे' शीतरति भने गीतयश, धर्वोना में इन्द्रो छे एए Torna देवा' अजथी सधने गीतयश पर्यन्तना उपर इशविद्या वानव्यन्तर हवाना इन्द्रो छे 'लोकवयः व्यन्तरज्योतिको ' આ યન અનુસાર જ્યાર નિકાયમ લોકવો ડાતા નથી. તેથી દરેક પ્રકારના વાનભ્યન્તર વા ઉપર અમ્બ્રે પ્રશ્નોનું જ અધિપતિત્વ આદિ હોય છે