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ममरतीयो इति । ते च उपर्युक्ता एवेति, अथ ध्यन्तरविषयक मामा-'पिसापा पुच्छा' इति पिशाचानामधिपति विपणा पन्छा भगवानार-'गोपमारे गौतम ! 'दो देश माहेवच' द्वौ द्वौ वक्ष्यमाणमकारी देवी आधिपत्य जन्तो
जार विहरति' यावत् विहरत', यावरकरणात् 'पौरपस्य, मामित्य, मर्वयं, पालकत्व पोपयस्वम्' इति मनापम् । तानेवाह-'त ना' वपया-पिशाचेन्द्रो'फाले य महाकाछे' पाल , महाकालमा भूतेन्द्री 'सरुव-पडिरूव' मुरूप , पति जल ७, त्वरित ८, फाल ९, और आवत १०। ये प्रत्येक इन्द्र के प्रथम प्रथम लोकपाल है । जैसे असुरकुमार के इन्द्र के पहले लोकपालका नाम सोम है और नागकुमारों के इन्द्रके पाले लोकपालका नाम कारपाल है इस तरह सर्वत्र समझलेना चाहिये। अब प्रभु से गोतम कहते है कि हे भदन्त । 'म अप यह जानना चाहता कि-पिशाच जो फि न्यन्तर निकाय है उनके ऊपर कितने देव आधिपत्य करते है यहीपात 'पिसाया ण पुच्छा' इस सूत्रपाठ बारा व्यक्त की गई है इमके उत्तरमें प्रभु गौतम से कहते है कि-'गोयमा' हे गौतम ! 'दो देवा' दो दो देष पिशाचकुमारों के ऊपर ' आहेगर जाव चिह रति' आधिपत्य आदि करते है। यहां पर यावस्पदसे 'परिपत्प, स्वामित्व, मई त्व, पालकस्य पोपकत्य, इन पदों का संग्रह किया गया है। 'त जहा' इस विषयमें खुलाशा अर्थ इस प्रकार से है 'काले य महाफाले य' काल और महाकाल ये दो इन्द्र पिशाचों के साभ, [२] Reyle, [a] यत्र ) मम [५] तेल, [६] ३५, [७] [८] त्वरित [૯] કાલ અને [૧] આવર્ત આ રીતે પ્રત્યેક ઇન્દ્રના પહેલા કપાલનું નામ ઉપર, અજબ છે જેમકે અસુશ્કમાપના ઈન્દ્રના પહેલા લોપાલનું નામ સેમ છે અને નાગકુમારના ઇન્દ્રના પહેલા કબાલનું નામ કાલપલ છે એજ પ્રમાણે બીન ઇનોના પહેલા તેમના નામ ચિત્ર, પ્રશ્ન આજે સમજવા
હવે પિશાચ નામના ખ્યત્ર દેવેના અધિપતિના વિષયમા બોતમ સ્વામી भक्षापी२५भुने भूछे - 'पिसायाण पुच्या' Herd! CHARIमारे। પર કેટલા ? અધિપતિત્વ આતિ ભોગવે છે? "
उत्तर- 'गोयमा' हे गौतम! 'दो देवा' पियमा ५१ २३॥ बारेसम जार शिरवि मधिपतित्वमा सो (ही मास की पौरपत्य, स्वाभित्प, मितल, larki पारमा परी १२ ) (स ) तभना नाम नीय प्रभादे- 'काठेय माफालेय' R२ म नामना