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प्रमेयचन्द्रिका टी श३ ३.८१ मत्रनपत्यादिदेवस्वरूपनिरूपणम्
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द्वीपकुमाराणामुपरि दक्ष देवा' आधिपत्यादि कुर्वन्तो विहरन्ति, तत्र 'पुण्ण' पूर्ण, विसिद्ध' विशिष्टचेति द्वौ द्वीपकुमारेन्द्रौ तल्लोक्पालानाह - 'रुभ' रूप, 'रूस' रूपाश 'रूअक त' रूपकान्त, रूअप्पम रूपमभव, तथा अस्य व्याख्या पूर्ववत् कर्तव्या - ' उदहि कुमाराण' उदधिकुमाराणामुपरि दश देवा आधिपत्यादिक कुर्वन्तो विहरन्ति तत्र 'जलय ते' जलकान्त 'जलप्पभ' जलप्रभचेति द्वौ उदधिकुमारेन्द्रौ तयोर्लोकपालानाह - 'जल' जल 'जलरूय' जल रूप 'जलक त' जलक्रान्तः 'जलप्पम' जलप्रमथ, एवम् अस्य व्याख्या पूर्ववत् 'दीवकुमाराण पुण्ण विमीट्ट ख्य, ख्यस, रूयकत, स्यप्पभ' द्वीपक मारोके ऊपर अधिपतित्व आदि करनेवाले ये दस १० देव है इनमें पुण्य और विशिष्ट ये तो दो इन्द्र है और उनके रूप, पाश, रूप कान्त, और रूपप्रभ ये चार लोकपाल है । हम प्रकार पुण्य इन्द्र और इनके चार लोफपाल एव विशिष्ट इन्द्र और इनके चार लोकपाल मिलकर दश देव दीपकुमारोंके ऊपर अपना प्रभुत्व स्थापित किये हुए हैं । ' उदहिकुमाराण' उदघिकुमारोंके ऊपर अधिपतित्व आदि रखने वाले ये दश देव है जलक ते जलप्पन' इनमें जलकान्त और जलप्रभ ये दो तो इन्द्र है तथा इन दोनोंके 'अल, जलरूय, जलकत, जलप्पभ' जल, जलरूप, जलकान्त, और जलप्रभ ये चार लोकपाल है । इस प्रकार जलकान्त इन्द्र और उनके ये चार लोकपाल, अलप्रभ इन्द्र और उनके ये चार लोकपाल मिलकर दय देव उदधिकुमार देवोंके ऊपर अपना प्रभुत्व आदि स्थापित किये
'दीवकुमाराण पुण्ण, विसिद्ध- रूय,
रूपस, रूपकत, रूयप्पभ' દ્વીપકુમારા પર નીચેના દસ વો અધિપતિત્વ, પૌ-પત્ય માદિ ભેગવે છે [१] पुष्य, [२] विशिष्ट [ 3 थी [१०] पुष्य भने विशिष्टना और भार बोम्यासोરૂપ, રૂપાથ રૂપકાંત, પપ્રભ. [પુયઅને વિશિષ્ટ તેમના ઇન્દ્રો છે. અન્નેના ચાર, ચાર सो४यासाना नाम सेम्सरमा छ] 'उदविकुमारा ण' अधिभारी पर आधिपत्य यादि ४२नारा इस द्वेवोना नाम नाथ प्रभा - 'जळकते, जठप्प में ' [1) बजा छाने [२] नणय को तेभना में इन्द्रो, खने 'जल, जलरूप, जलफत, जलप्पम' [૩ થી ૧૦] જલ, જલરૂપ, જલકાન્ત અને જલપ્રભ, એ નામના ચાર, ચાર àકપાલોઆ રીતે એ ઇન્દ્રો અને આઠ કપાલો મળીને કુલ અધિપતિત્વ ખાદિ ભાગવે છે દસ વાષિકુમારા પર