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मातीही काइयाण देवाण' तेपी पा यमयायियानां देवानामपि ते उपर्युक्ता मामा न सन्तीस्पर्थः, अथ यमस्य आमादियारिण पादश परमनिर्दपान परमाधार्मिफान अमुरनिफायान् मसिपादयितुमाह-'सरकास' इत्यादि । कास 'देविंदस्स देवरणो' देवेन्द्रस्प देवरामस्य 'जमस्स महारगो' यमस्प मा राजस्य इमे पक्ष्यमाणा देवा. 'बहावया' यथाऽपस्पा' पुषस्थानीया भागादि पारितया वशवतिया च पुत्रवत मिया इत्पर्य. 'अमिष्णाया' अमिशाता अनि मताः 'होत्या' सन्ति, तानाह-'त जहा' तद्यथा 'अमे' मन , पक्ष्यमाणेषु पञ्चदशासुरनिकोयान्तर्वत्तिपु परमापार्मिकनिकायेषु देवेषु यो देवो नेरपिकान गगनतछे नीस्वा अघः पातयति असो 'अभ्य' इत्युच्यते', 'अररिसे चेर' अमरी परिवार के जो देवदेवी है घे भी इन तीन उत्पातों के ज्ञाता है यही पात तेसिंवा जमफाइयाण देवाण, इस सूत्र पाठ द्वारा व्यक्त कीगइ है । अर्थात् उन पमफायिक देवोंसे भीये उपद्रव अज्ञात नही है । अप सम्रकार यह प्रकट करते हैं कि ये आगे कहे आनेवाले पन्द्रह प्रकारके देव यमके भाज्ञाकारी है ये सबके सब परमनिदेय है, परम अधार्मिक है, और असुरोंके निकायवाले है-'समस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारपणो इमे देवा महावच्चा भभिण्णा या होस्था, इस घपाठ बारा प्रकट की गई है-देवेन्द्र देरराज शक्रके लोकपाल जो यम महाराज है उनको ये देव आज्ञा आदिके करने पाले होने के कारण और उनकी भाधीनतामें रहनेके कारण पुत्रके जैसे प्रिय है । 'तजहा उन १५ प्रकारके देवों के नाम इस प्रकार से है 'अ' अम्पमसुरनिकायमें रहनेवाले पन्द्रह परमाधार्मिक निका पवाले देयोंमें पे देव रहते है पे देव नेरयिकों को भाकाशमें ले એટલું જ નહીં પણ થમના પરિવાથપ જે દેવ-દેવીઓ છે તેમનાથી પણ તે ઉત્પાતે. અજ્ઞાત દેતા નથી, એ જ વાત સૂત્રકાર નીચેના દ્વારા પ્રકટ કરી છે– ના समकाइयाण देखाण' & 8 भरपना परिवा३५ माथि वोथा . ઉપવો અજ્ઞાત લેતા નમી આગળ બતાવ્યા પ્રમાણેના ૧૫ દેવો યમને અધીન છે તે બમાં ઘણા નિષ અને અપર્મિક છે. તે અષા અક્ષરનિમય કેવો છે આ યાતિ वन, १२५ खान arue मभना 'इमे देवा भाारमा अमिण्णाया होत्या' શાનારી વો નીચે પ્રમાણે છે વળી તે કેવો તેના સ્થાનીય દેવા ગણાય છે'तरा' ५५ भान पुत्र यानी वो नी भर
* ૧ જ અસર નિવાયમાં જેનારા પર પરમાવાનિઝ નિકાલ વાળા દેવોમા મા રવાં પડે છે તે અમ્બ દેવો નારકને આકાશમાં વચ્ચે લઇ ને