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८१६ इत्यभिधीयते ६, 'कालेय' फालय, य' खलु कटारादिपु वान परति स कृष्णवर्णत्वात् भयमदत्वाच 'काला' इति व्यपदिश्यते ०, 'मगकाले सि पावर' महाकाल इति चापरो देव , यो हि स्निग्धमासानि कर्वपित्वा नारकान खादयति वर्णन महाशालवेति स 'महाकाल" इति पथ्यते ८, 'असिपत्ते' असि पत्र , स देवो योऽसितल्यपत्राणां वन पिरचय्य तन्छायामिलापेण समा गाभारफिणो विकृतमावान्दोलनपूर्वकमसिपप्रपातनेन म्बण्डशपियनत्ति ९, 'घ' धनुः म यो धनुषो विनिर्मुक्तरर्द्धचन्द्रापारणिः पाँठनासादीनवयवाप्रारपिणां छिनत्ति । १०, 'कु में कुम्म , यो हि देव सभ्यारिपु नारकान्, स्वभावका होने के कारण उपरुद्र कहा गया है। कालेय काल-इसका मर्ण पाला होता है और यह नरक जीयाका पडाई आदिमें पाता है तथा समय२ पर उन्हें भयभी देता रहता है इस कारण इसका नाम काल ऐसा कहा गया है । 'मराकालेसियावरे' महाकाल यह देव है। यह नारकोंके स्निग्ध मासोको काटकर स्वय नार कोंको ही खिलाता है। इसका वर्ण मरान काला होता है। इस कारण इसे महाकाल कहा गया है । 'असिपत्ते' असिपत्र-यहदेव तलवारकी धारके जैसे पत्तोका धन पनाकर वहा छायाकी अभिलाषासे आये हुए नारकोंके विकृत पायुके सचालनसे पत्रोंको गिराफर शरीर के वण्डर करता है । 'घणू' धनु-यह धनुपसे छोटे गये भर्दयद्रा कार घाले पाणों मारा नारकजीपोंके कान, मोष्ट एव नाक आदि अषयोंका छेदन करता है । "कुमे कुम यह कुम आदिमें नारक जीवोंका पकाता है इसलिये उपचार से इसेमी कुंभ कह दीया गया है। 'पाल' पाल-या भारमें रही हुई तप्स धजवालकामें नारकઉપજ છે તેઓ અતિશય ાર દેવાથી તેમનું નામ ઉપસ્ટ પાર્ટ છે [૭] शालेय पोय ते ५२भापभिः वो नारसने rai
न ते पारवा२९५ पभाउ [4] 'महाफालेसि' मn-a नानु નિષ્ઠ માસ કાપી કાપીને નારકોને જ ખવરાવે છે તેને વર્ષ અતિશય યામ હાય
पर 38 [6] 'असिपचे' सिपत्र २५ तास ધાર જેવા પાનવાળ વન બનાવે છે ત્યાં કામ મેળવવાને માટે નરક માને છે ત્યાર
ના મા બાપનથી તે પાનને ની બેરવીને નારકાના રારીરના ટુકડે ટુકા કરે છે.
ન ધનતે નવમાંથી કલા અર્ધચન્દ્રાર કાપી નાના મન, નાક, છેઠ બાતિ અવયવનું છેદન કરે છે ૧] “” કુમ-મા પદ્માપાર્ષિ કરવો નાને