________________
पमेयचन्द्रिका टी श.३ उ ८ स १ भवनपत्यादिदेवम्वरूपनिरूपणम् ८६१ ____ भगवानार- गोयमा' हे गौतम ! 'दस देवा' दशदेवा 'आहेवच ' माधिपत्य कुर्वन्त. 'जाव-विहरति' यावत-विहरन्ति, यावस्करणाव-पूर्वोक्त पौरपस्याकि सग्रायम् । 'त जहा' तद्यथा तान् दश देवान् प्रतिपादयति 'चमरे भमुग्देि, चमर असुरेन्दः, अमुरराज १ तल्लोकपालाश्चत्वार.-'सोमें सोम • 'नमे' यम ,३ 'वरुणे' वरुण , ४ 'वेसमणे' वैश्रवणश्च ५ 'पली बहेरोयणिदे वइरोयणराया' पलिवरोचनेद्रः रोचनराज १ तल्लोकपालापत्वारो यथा-'सोमे १ सोम', 'नमे'२ यम', 'वरुणे'३ परुण , 'वेसमणे'४ वैश्रवणय गौतम पुनः पृच्छति 'नागकुमाराण' नागकुमाराणाम् ' गते ! पुच्छा' पोषकत्व' इस पाठका सग्रह किया गया है। इस प्रश्नका उत्तर देते हुए प्रभु गौतमसे कहते हैं कि-'गोयमा' हे गौतम ! दस देवा आहेवच जाव विहरति' दशदेव आधिपत्य यावत् करते है अर्थात् असुरकुमार देवोंके ऊपर १० १० देव अधिपति रूपमें होकर रहते है यहांपर भी 'यावत् पदसे पूर्वोक्त पौरपत्य आदि विशेषणपद गृहीत किये गये है । 'तजाहा' ये दशदेव इस मारसे है 'धमरे असुरिंदे असुररायो' १अमरेन्द्र असुरराज चमर तथा इस घमर के ये चार लोकपाल 'सोमे, जमे, वरुणे, समाणे' सोम, यम, वरुण और पैश्रमण, दूसरा 'वइरोयणिंदे पहरोयणराया पली' पैरोचनेन्द्र पैरोचनराज पलि सथा इमके ये चार लोकपाल 'सोमे, जमे, वरुणे' वेसमाणे' सोम, यम, वरुण, और वेश्रमण ।
अप गौतम पुन प्रभुसे पूछते है कि 'नागकुमाराण भते ! पुच्छा' પ્રભુ નીચે ન એ પ્રમાણે આપે –
'गौयमा' गोतम! 'दस देवा माहेबच्चे जाम पिरति' અસુરકુમાર દેવ ઉપર દસ ટેનું આધિપત્ય ખાદિ ચાલે છે અહી પણ “વાર ५४या पौरपत्य MEAN ABR ४२वामा माल्या 'सजा' सोना नाम नाय भाले छ- 'चमरे अमरिंदे असुरराया' [१] सुरेन्द्र, सुश्राय सभ२ जने वन या sit- मोमेजमे. घरुणे, वेसमणे' [२] सेभि [३] यम, [४] १२१ जन [५] भर परोयणिदे पारोयणराया पली' [९] रेयने , रोयनराय मle तयातना या asial-'सोमे, यमे, परुणे, समणे [७] सोम [८] यम, [e] १०५ मन [१०] श्रम ___ -'नागकुमाराण मंते ! पुच्छा' सान्त ! नागभान विषयमा ५९