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उवा इत्यर्थ पनिषदेव परिवार दीवकुमारा' STAओ'
पमेयचन्द्रिका टीका श ३ उ ७५ वैश्रमणनामकलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ८४१ वैश्रमणस्य महाराजस्य इमे वक्ष्यमाणा देवा 'आणा-उववाय-चयण-निदेसे' आशा-उपपात-वचन-निर्देशे 'चिति' तिष्ठन्ति, तानेवाह-तजहा'-तद्यथा 'वेसमगकाउआउवा' वैश्रमणकायिका इति वा, वैश्रमणस्य परिवारभूता उता इत्पर्य , 'धेसमणदेवयकाइमाइना' वैश्रमणदेवतकायिकाइति वा, वैभ्रमणस्य सामानियदेव परिवारभूता इत्यर्थ , 'सुवण्णकुमारा' सुवर्णकुमारा , 'मुवण्णकुमारीओ' मुवर्णकुमार्य , 'दीवकुमारा' दीपकुमारा 'दीवकुमारीओ' दीपकुमार्य , 'दिसाकुमारा' दिक्कुमारा 'दिसाकुमारीओ' दिक्कुमार्य, नाणमतरा' वानन्यन्तराः 'वाणमतरीओ' वानव्य वर्य , 'जे यावपणे तहप्पगारा' ये चाप्यन्ये तया प्रकारा 'सन्चे ते तन्मतिभा' सर्वे ते तद्भक्तिका , 'इमे ये वध्यमाण आगे कहे जाने वाले देव 'आणा-उववाय-यण निदेसे' उसकी आज्ञा में उपपात में-सेवा में वचनमें और निर्देश (ये काम करो) पालन करने में कटियर रहते है । 'त जहा' वे देव कौन से है ? तो इसका उत्तर देते हुए प्रभु कहते है कि ये देव ये है - वेसमणकाइयाइ वा' वैश्रमणकायिक-ये देव श्रमण के परिवार भूत देष है, 'धेसमण देवयकाइयाइवा' वैश्रमणदेवकायिक देव ये देव पैश्रमण के सामानिक देवों के परिवारभूत देव होते हैं 'सुघण्णकुमारा' सुवर्णकुमार' 'सुषण्णकुमारीभो' सुष णेकुमारिकाएँ 'दीषकुमारा' दीपकुमार 'दीवकुमारीओ' बीपकुमारिया 'दिसाकुमारा' 'दिपकुमार' दिसाफुमारीओ दिक्कुमारिया 'वाणमतरा' पानव्यन्तर, वाणमतरीओ, वानव्यन्तरिया ये तथा 'जे यावणे' जा
ओर भी दूसरे 'सहप्पगारा' इसी प्रकार के देव हैं 'ते सव्वे ARम महारानी 'आणा उववाय- मयण- निसे-तजा-' माता, सवा,
વચન અને નિર્દેશને પાળવાને કટિબદ્ધ રહેતા રવાના નામ નીચે પ્રમાણે છે___ 'समणकाइया बा. समाथि देवो,- तामना परिवा२३५ २३। गाय । 'धेसमणदेवकाइया या' भव- हे४ि - भानुना सामान
वाना परिवा२३५ वो , 'मुषण्णकुमारा' सुवर्थ भाश, 'मुवण्णकुमारीमओ' भुभारीभो, 'दीवकुमारा' दीपमा। दीयकमारीमो' दीपभाशया, "दिसामुमारा' बिमारी 'दिसाकुमारीओ'
'वाणमतरा' मरी, 'वाणमतरीयो' पान , तया 'जे यावणे तहप्पगारा' 1 HR श्री पदको सध्दे तो समय सम्मचिया' मम प्रत्ल