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मगरतीयो योपिये गौतमस्य भरन:, पत्रचत्वारिंशता चतुर्मशीमिर्मगवतः समाधान ततो यापुफायः स्त्री-पुरुष-तिर्यक्-शिषिकादि वाहनाकारेण पताकाकारेण च वाति किम् ? इति गौतमस्य प्रश्नः, केवलं पताकाकारणेव स वायुकायो वाति नतु स्त्री पुरुषशिविकाधाकारेणेति भगवतः उत्तरदान तत्र कारणमदर्शना ततो वायुकायः पताकाकारेण अनेकानि योजनानि गन्तगईति नवेति ? गौतमस्य मनस्य स्वीकारात्मकं समाधानम् , ततः आत्मदचा-परऋद्ध याचा, आत्मपर्मणा-परकर्मणा या, आत्ममयोगेण-परमयोगेण वा स प्रवति इति प्रश्नस्य आत्मदर्यादिनय पत्रहणं न तु परद्धर्यादिनेति समायानम्, ततः स वायुकायः आहोरिवद पताका ? इति मन्ने स वायुकायः, नो पनाका इति उत्तरम् , ततः में फमर से गौतमके दोदो प्रश्न और ४५ पैंतालीसचतुर्भगी द्वारा प्रभुका इस पर समाधान । वायुकाय क्या स्त्री के, पुरुष के, तियेच के शिपिका आदिवाहन के और पताका के आकार से वहता है ? ऐसा गौतम का प्रश्न, इस पर 'वायुकाय पताका के आकार से ही वहता है-अन्य स्त्री पुरुप आदि के आकार से नहीं वहता' ऐसा प्रभुका उत्तर । इसमें कारण का प्रदर्शन । घायुकाय पताकाकार से अनेक योजनों तक जा सकता है या नहीं ऐसा गौतमका प्रश्न'हां जा सकता है। ऐसा प्रभुका उत्तर । वायुकोय आत्मऋद्धि से अथवा परऋद्धि से, आत्मकर्म से अथवा परकर्म से, आत्मप्रयोग से अथवा परप्रयोग से, वहता है क्या ? 'आत्मऋद्धि आदि से ही वायुकाय वहता है परऋद्धि आदि से नहीं ऐसा प्रभुका इस प्रश्न पर समाधान । वह वायुकाय है या पताका है ? ऐसा प्रश्न-'वह ફળ અને બીજના વિષયમાં પણ ગીતમના ઉપર પ્રમાણેના જ ૨, ૨ પ્રશ્નો અને ચાર, ચાર વિકતવાળા જવાબ દ્વારા તે પ્રશ્નોનું સમાધાન.
-पायुय शुश्रीना, पुरुषना, ति चना, शिमिया' (पाली) माहि વાહનના અને પતાકાના આકારે વહે છે?” ઉત્તર–-વાયુકાય પતાકાના આકારે જ વહે છે. સ્ત્રી, પુરુષ આદિ અન્ય આકારે વહેતું નથી. અને તેનું કારણ બતાવવામાં આવ્યં છે.
--'वायुय ताथी मने यानयत २३ नहीं ?? . 612-6, 6 छे'. ,
મન-વાયકાય આત્મઋદ્ધિથી વહે છે કે પરઋદ્ધિથી, આત્મકર્મથી વહે છે કે પરકમથી, આત્મ પ્રાગથી વહે છે કે પરપ્રયોગથી ?” ઉત્તર-વાયુકાય. આત્મદ્ધિ माहिया , पति माहिथी पडतुनथी. . ... .. ।