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भगवती भन्यो ज्योतिप्केषु उपप' पृच्छा ! गौतम ! यल्लेश्यानि दम्याणि पर्यादाप फालं करोति तल्लेश्येपु उपपद्यते, तपा-तेजोलेश्येषु, जीवो भदन्त ! यो मज्यो मानिफेपु उपपतुं स भदन्त ! किलेश्येपु उपपद्यते ! गौतम ! यल्लेरयानि णियच्या) कृष्णलेश्यावालों में, नीललेश्यावालों में अथवा कापोत. लेश्यावालों में (पवं जस्स जा लेस्सा सा तस्स भाणियच्या) इस प्रकार जिम की जो लेश्या होती है वह उस की कहना चाहिये । (जाय-जीवेणं भंते । जे भविए जोइसिएम उववजितए पुच्छा ?) हे भदन्त ! यावत् जो जीव ज्योतिपिकों में उत्पन होने योग्य है यह कैसी लेश्यावालों में उत्पन्न होता है ? (गोयमा ! जस्लेसाई दन्याइं परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेसेसु उववजह तं जहा-तेउलेसेसु) हे गौतम ! जो जीव ज्योतिपिकों में उत्पन्न होनेके योग्य होता है वह जीव जैसी लेश्यावाले द्रव्योंको ग्रहण करके मरता है उस लेश्यावालों में उत्पन्न होता है-जैसे-तेजोलेश्यावालों में, (जीवेणं भंते ! जे भविए वेमाणिएसु उजित्तए-से गं भंते ! कि लेसेसु उववनइ [ हे भदन्त ! जो जीव वैमानिक देवों में उत्पन्न होने के योग्य होता है वह हे भदन्त ! कैसी लेश्यावालों में उत्पन्न होता हैं ! (गोयमा ! जल्लेसाई दवाई परियाइत्तो कालं करेइ, तल्लेसेसु उव. वजह तं. जहा-तेउलेसेसु वा, पम्हलेसेसु वा, मुकलेसेसु वा) हे गौतम ! जो जीव वैमानिक देवों में उत्पन्न होनेके योग्य होता है पामा-मामा, में प्रभारी नीर श्या सत्य ते ४वी ना. (जाव - नीवेणं भंते ! जे भविए जोइसिएमु उववज्जित्तए पुच्छा ): 3 महन्त!२ ० ચાવત ક્યોતિષિકેમાં ઉત્પન્ન થવાને ચગ્ય હોય છે, તે કેવી લેફ્સાવાળાઓમાં ઉત્પન્ન थाय छ ? (गायमा ! जल्लेसाई दवाई परियाइत्ता कालं करेइ, तल्ले सेसु उववज्जइतंजहा-तेउळेसेसु) 3 गौतम! ज्योतिषिमा उत्पन्न पाने પત્ર હોય છે, તે જીવ જેવી લેશ્યાવાળાં દ્રવ્યને ગ્રહણ કરીને ભરણું પામે છે, તે वेश्यायामामामा Gurन याय छे. समतन्न देश्यवाणामां (जीवेणं भंते जे भनिए वेमाणिएमु उपज्जित्तए-से गं भंते किं लेसेम्र उववज्जड-1) હે ભદન્ત! જે જીવ વૈમાનિક દેવમાં ઉત્પન્ન થવાને ચગ્ય હોય છે, તે જીવ કેવી श्यावणामामा ५-नयाय छ ? (गोयमा ! जलेसाई दवाई परियाइता हो करेड, तल्लेसेसु उववज्जह तंजहा-तेउलेसेमुवा, पम्हलेसेसुं वा, सक्कलेसेस वा) गीतमा २७१ वैमानि वोमा पन्ना योग्य हो।