________________
૭૬૮
मगरले कानां प्रमाणस्या मातम्यम्, पारद-उपरितनेन, पोरशमोगममासामि आयामविष्कम्मेण, पनास योजनसामाणि, पासप्तनबतिपॉजनातानि किश्चिद् विशेपोनानि परिक्षेपेण प्रनप्तम्, प्रासादानां चतस्र. परिपाटय मानव्या', शेपा नास्ति, शकस्य देवेन्द्रस्य, देवराजस्य सोमस्य महाराजस्प इमे देशा माझा-उपपात-वचन-निर्देशे तिष्ठति, तथया-सोमकापिका इति पा, सोम प्पमाणा वैमाणियाण पमाणस्स अदणेयम्य) हम राजधानोकी लगाई
और घोडाई एक लाग्य योजनकी है। या जबीप के बराबर है। इस राजधानी में वर्तमान दुर्ग आदिका प्रमाण वैमानिक देवों के दुर्ग भादिके प्रमाणसे आधा जानना चारिये । (जाव उपरियणं सोलसजोयणसहस्साइ आयामविक्खमेण पण्णास जोयणसहस्साइ, पत्र य ससाणउ जोयणसण किंचि विसेस्णे परिक्लेवेण पण्ण) यापत् ग्रहके पोठप तक या फवन जानना चाहिये। प्रहके पीठाध का आयाम और विष्कम सोलहाजार योजनका, और परिधिका प्रमाण पचासहजार पाच सौ सत्सान योजन से भी कुछ अधिक है। (पासायाण चत्तारिपरिवाडीओ णेयन्वाओ) प्रासादों की पार परिपाटी जाननी चाहिये । (सेसा नत्यि) याकी की नहीं हैं। (साब स्स ण देविंदस्स देषरण्णो सोमस्स महारण्णो इमे देवा आणा उपवास षपणनिदेसे चिति) देवेन्द्र देवराज शफ महाराजके सोमकी ये देव आज्ञामें उपपातमें, कहने में एक निर्देशमें रहते हैं। (तं ) अट यब) MIRनीनी मा भने पठाना an योनिमा પ્રમાણ જ બળીપની બરાબર છે. આ રાજધાનીમાં આવેલા કિલ્લા નદિનું પ્રમાણ
मानि: स्वाना foret मारिन प्रभाव ४२ता सम (जाप उवरियोग सोसस मोयणसास्साइ मायामपिक्समेणे पण्णार्स जोयणसहस्साइ, पच य सचापर जोयणसप किंचि विसेसणे परिपखेपेण पण्णचे) पापत मनपा ५५'d l કથન સમજવું જ ન પીઠમ્બાપની લબાઈ અને પહોળાઈ ૧૬૦૦૦ સોના ન પ્રમાણ અને પરિવ ૫૦૫૭ પણાસહજાર પાસો સત્તાણુ પાલન કસ્તાં પણ સાજ १धार (पासायाणपचारि परिपाठीओ यमामो)प्रासानी र पशुपारी श्रम सभा (सेसानस्थि) IRन ना. (सकरस ण देविंदस्स देबरलो सोमस्स महारणो इमे देखा आणा-उपवाय वयम निरसे चिहतिवUिruar પાલ એમની આજ્ઞા પ્રમાણે કપાત પ્રમાણે, બા પ્રમાણે અને શિ પ્રમાણે PRICR स्व (मस) नाम प्रभा -(सोमकाइबाइवा, सोमरेपरकाया