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प्रमेयचन्द्रिका टीका श ३ उ ७ १ शक्रस्य सोमादिलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ७७१ जमे, वरुणे, वेसमणे' सोम, यम, वरुण, वैभ्रमण गतिम पृच्छति'एएसि ण भते । हे मदन्त ! एतेषां वलु चउण्ड लोगपालाण' चतुणी लोकपालाना कति 'त्रिमाणा' विमानानि 'पण्णत्ता' प्रशप्तानि कथितानि ? मग वानाह - 'गोयमा !' हे गौतम ! 'चचारि विमाणा' चत्वारि विमानानि 'पण्णत्ता' प्रतप्तानि, 'वजडा' - तद्यथा - सझप्पमे' सोमस्य सन्ध्याममनामक विमानमस्ति 'वरसिह' यमस्य वरशिष्टनामक विमानम् 'सयजले' वरुणस्य स्वयज्वलनामत्र विमानम्, वग्गू' वैभ्रमणस्य वल्गुनामक विमानम् । गौतम पृच्छति - ' परिण भते !' हे मदन्त ! कुत्र खलु 'सक्क्स्स' शक्रस्य 'देविंदस्स देवरण्णो' देवे न्द्रस्य देवराजस्य 'सोमस्स महारष्णो' सोमस्य महाराजस्य 'सझप्पभे' मन्ध्या है । 'त जहा' उनके नाम इस प्रकार से है 'सोमे, जमे, वरुणे, वेस मणे' सोम, यम, वरुण और वैश्रमण अप गौतम प्रभु से पुन पूछते हैं कि 'भते ! हे मदन्त ! 'एएम चउण्ट लोगपालाण' इनचार लोपालों के 'विमाणा कह पण्णत्ता' विमान कितने प्रज्ञप्त हुए हैं ? भगवान् इसका उत्तर देते हुए कहते हैं कि 'यत्तारि विमाणा पण्णत्ता' चार विमान कहे गये है । 'त जहा' वे इस प्रकार से है - सज्झप्पमे, घरसिडे, सयजले, यग्गू' सध्याप्रम, यर विमान सोमका है, घरशिष्ट यह विमान पमका है, स्वयजल यह विमान वरुणका है, यरुगु- यह विमान वैश्रमण लोकपास्का है । अथ गौतम प्रभुसे पुन पूछते हैं कि 'मते ! देविंदस्स टेवरण्णो सक्कस्म' हे भदन्त ! देवेन्द्र देवराज शकके लोकपाल 'महारण्णो' महाराज 'सोमस्स' मोमका 'सझप्पमे णाम
उत्तर- 'चचारि लोगपाला पण्णत्ता' हे गौतम! सोना सोपार हे 'तु जहा ' तेभना नाम नाये प्रभा - सोमे, जमे, वरुणे, वसमणे' (१) सोभ (२) यभ (3) वरुशु भने (४) श्रम
अभ - 'भसे !' के महन्त ! 'एए सिं चउण्ड लोगपालाण' मे यार हो थाना 'विमाणा वड् पष्णता ?' डेटा विमानो छे
उत्तर- ' चारि विमाणा पण्णचा ' हे गौतम! ते यार हो४याहोना भार विमानो ( जहा ) ते यार विभानार्ना नाम नीचे प्रभा - 'साप' सुभ्यामगमा विमान सोमन हे ' बरसिट्टे ' वरशिष्ट-रमा विमान यमनु 'सयजले' स्वयसमा विमान वरु छे 'व' वगु-मा विभान वैश्रभनु हे હવે લેકપાલ સેામનું વિમાન કયા આવેલું છે તે જાણવા માટે ગૌતમ સ્વામી नचिने। प्रश्न पूछे छे–'भते 12 से 1 ! 'देविंदस्स दरण्णो, सक्क्स' देवेन्द्र,