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भगवतीने
अनगारो भदन्त । भावितात्मा देवीं बैंकियसमुद्घातेन समतां यानकपेन यान्तीं जानाति पश्यति ? गौतम १ एवं नेत्र, अनगारी भदन्त । भावितात्मा देवं देवि क्रियसमुद्घातेन समवहतं यानरूपेण यान्तं जानाति, पश्यति? गौतम ! अस्त्येrको देवं सदेविकं पश्यति, नो यानं पश्यति, एतेन अभिपास कोई एक अनगार देवकी भी देखता है यान को भी देखता है। तथा (अत्थेगईए णो देवं पासह, णो जार्ण पासइ) कोड़ एक अनगार देवो भी नहीं देखता है और यानको भी नहीं देखता है । (अणगारे णं भंते ! भाचियप्पा देवि वेउच्चिय समुग्धापणं समोहयं जानवेणं जायमाणं जाणइ पास ) हे भदन्त भावितात्मा अनगार वैकिसमुद्धात से समबहुत हुई और यानरूप से गमन करती हुई देवी को क्या जान सकता है ? और देख सकता है ? (गोयमा ! एवंवेव) हे गौतम! इस विषय में उत्तर पूर्वोक्तरूप से ही जानना चाहिये।, (अणगारेणं मते 1 भावियप्पा देवं सदेवीयं वेव्वियसमुग्धारणं समोहयं जाणरूवेर्ण जायमाणं पासह १) हे भदंत भावितात्मा अनगार क्रिसमुद्धात से समवहत हुए और यानरूप से गमन करते हुए देवीसहित देवको क्या जानता है और देखता है ? (गोयमा ! अत्थे - गईए देवं सदेवीयं पासह, नो जाणं पासह, एएणं अभिलावेणं चत्तारि गंगा ) हे गौतम ! कोई एक अनगार देवीसहित देवकों देखता ( अत्येगइए देवं पि पासइ, जाणं पि पासइ ) । ४ आधुगार हेवने चायु हेणे हे अने यानने पशु हेथे छे, तथा (अत्येगइए णो देवं पासइ, गो जाणं पासइ) ६४ युगार देवने पशु हेमतो नथी भने यानने या तो नथी. ( अणगारेण भंते ! भावियप्पा देवि उव्त्रियसमुग्धारणं समोहयँ जाणरूवेणं जायमाणं जाणइ पासई ? ) से महन्त ! भावितात्मा मधुशार, वैडिय समुइधातथा युक्त थयेनी भनेयान३षॆ गंभन ४श्ती हेवीने शु लघु श छे भने द्वेषी शे छे ? ( गोयमा ! ) गौतम ! ( एवं चेव ) या विषयभां च भागणा मताच्या प्रमाणे उत्तर समन्व ( अणगारेणं भंते ! भावियप्पा देवं सदेवीयं वेत्रिय समुग्धारणं समोहर्यं जाणरूवेणं जायमाणं जाणइ पास 2 ) डे लहन्ते ! आवितात्मा मयुर वैठिय
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સમ્રુદ્ધાતથી યુકત થયેલા અને યાનરૂપે ગમન કરતા દેવ અને દેવીના યુગલને જાણી शङ्कु छे भने ?जी रा छे ? ( गोयमा) डे गीत (अत्येगइए देव सदेवीय पास, नो जाणं पास, एएणं अभिलावेणं चत्तारि मंगा · ) ४४
गार हवा