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भगवतीले तथा घमास्स य चमरम्प 'उपगणकाले उत्पतनकाल वनस्स ग, वनस्प च 'ओरयणकाले' भवपतनफाल'पपदोग वि तल्ले विसेसाहिए' एनो द्वौ अपि तुल्यो विपाधिको एपद्धपोरपि तुल्यः अर्थात अधिकाधिको स्तः। तथा प प्रमशः शगमरयोः उत्पननावपननकालो सर्वनोलो, अवजयोः भवपतनोत्पतनकाली सर्वनः संगयानगुणी, नमस्यमयोः उत्पननावपतनकाली सर्वतो विशेषाधिको ता किधिन्यूनाधिको इति सारांगः ॥१० ११ ॥ चमर को अपने २ स्थानों में जानेफा घेग ममान होता है इसलिये शक्रका ऊंचे जानेका काल और घमरका नीचे जानेका काल आपस में तुल्य फहा गया है और इसी कारण ये सर्वस्तोक कहे गये हैं। इसी तरह से शक के नीचे जानेका काल और वज्र के ऊंचे जानेका काल भी तुल्य समझना चाहिये । शक को ऊंचे जाने के समय की और चजको नीचे जाने के समय की अपेक्षा से यहाँ संख्यात गुणे " ऐमा समझना चाहिये। तथा 'चमरस्म य उप्पयण. फाले' चमरका उत्पतन काल और 'वनस्स य ओवयणकाले बजका अवपतनकाल 'एए दोण्ह चि तुपले विसेसाहिए' ये दोनों भी तुल्य हैं और विशेषाधिक है-अर्थात् अधिकाधिक हैं सारांश-शक्रका उत्प तनकाल और चमरका अवपतनकाल ये दोनों काल सबसे अल्प है। शक्रका अवपतनकाल और वज्रका उत्पतनकाल ये दोनों काल सर्वतः संख्यातगुणे हैं । चमरका उत्पतनकाल और चनका अवपतन काल ये दोनों सर्वतः विशेषाधिक कुछ न्यूनाधिक है । सू० ११ ॥ એ છે કે શકને ઊંચે જવાને વેગ તથા ચમરને નીચે જવાને વેગ સરખે છે. અને એ જ કારણે તે બન્ને કાળને સૌથી ન્યૂન બતાવ્યા છે. એ જ પ્રમાણે શક્રને નીચે જવાને કાળ અને વજન ઊંચે જવાને કાળ પણ સરખે છે. શઠના ઉર્ધ્વગમન કાળ કરતાં અને વજના અાગમન કાળ કરતાં, શકને અગમનકાળ અને વજન ઉધ્વगमन 100 सध्यात मो छ. तथा 'चमरस्स य उप्पयणकाले' अमरना - गमन १७ भने 'वज्जस्स य ओवयणकाले' 4 अागमन ११, 'एस दोण्ह न तल्ले विसेसाहिए' मे मन्ने पशु स२॥ २२ (पाधि छ वान। A એ છે કે શક્રને ઉર્ધ્વગમન કાળ અને ચમરને અાગમન કાળ એ અને કાળ સૌથી જૂન છે. શુક્રને અાગમન કાળ અને વજન: ઉર્ધ્વગમન કાળ તેના કરતાં સંખ્યાત ગણે છે. ચમરના ઉર્ધ્વગમન કાળ અને વજીને અધિગમન કાળ, मेमन्त सोया विशेष: छ. ॥ १० ११॥ . . .