________________
५२६
-
-
--
. भगवतीसरे द्विविधा माता, वा-स्वदस्त पारितापनिकी च, परपस्तंपारितापनिकी, माणातिपात मिया खल भदन्त ! क्रिया कतिविधा ममता १.मण्डितपुत्र ! द्विविधा माप्ता, तधया-स्वहस्त माणातिपातक्रिया च, परहस्तमाणातिपातक्रियाच ॥१॥
टीका-द्वितीयोरेशके चमरोल्पात: मोक्ता उत्पातो हि गमनागमनादि रूपः अत: फिया स्वरुपमाह-'तेणं फागं' इत्यादि । तेणं झालेणं' तस्मिन् भंते । किरिया फइविहा पण्णता) हे भदन्त ! पारितापनिकी क्रिया कितने प्रकार की कही गई है ? (मंडियपुत्ता) हे मंडितपुत्र (दुविहा पण्णत्ता) पारितापनिको मिया दो प्रकार की कही गई है? (तंजहा) जैसे-(सहत्यपारियायणिया य परहत्वपारियावणिया य) एक स्वहस्त पारितापनिकी क्रिया, और दूसरी परहस्तपारितापनिकी क्रिया । (पाणाइवाय किरिया णं भंते पुच्छा-पाणाइवायकिरिया कइविहा पण्णता) हे भदन्त ! प्राणातिपातक्रिया कितने प्रकारकी कही गई है ? (मंडियपुत्ता! दुविहा पण्णत्ता) हे मण्डितपुत्र ! माणातिपातिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है । (तंजहा) वे"प्रकार ये हैं (सहत्यपाणाइयाय किरिया य परहत्थपाणाइवायकिरिया य) एक स्वहस्त प्राणाति-- पातक्रिया और दूसरी परहस्तप्राणातिपातक्रिया ॥
टीकार्थ-दितीय उद्देशक में चमर का उत्पात प्रतिपादित किया गया है और यह उत्पात गमन आगमन आदिरूप होता है । तथा गमन आगमन ये क्रियारूप होते है । इसलिये क्रिया के स्वरूपको प्रतिपादन करने के लिये वह 'तेणं फालेणं इत्यादि सून कहा गया - रिया कइविहा पण्णता ?) महन्त ! पारितापनि यान tanAAR - (मंडियपुत्ता। दुविहा पण्णत्ता-तं जहा) भारिता तेनानीय प्रभाव में २ (सहत्थपारियावणिया य परहत्य पारियावणिया य) (१) २१७ परतापनि दिया (२) ५२६२त पारितापनि यिा. (पाणाइवाय किरियाण भंते ! कइविहा पता?) महन्त ! आतिपात याना tanा छ . (मंडियपत्ता)
भरतपुर । (दुविहा पणत्ता-तं जहा) यातिपात याना नाय प्रभा प्रा२ (सहत्यपाणाइचायकिरिया य परहत्थपाणाइवार्य किरियाय) (१) स्वस्त पातिपात या मन(२). १२९२ आएilariasis •
. . . - શશિ બીજા ઉદ્દેશકમાં ચમરના ઉત્પાતનું પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે. તે ઉત્પાતિ ગમન આગમન દિરહી છે. તથા મન અને આરામત ક્રિયારૂપ હોય छ. तेथी माना, २१३५ ARHTER भार तेणं कालेणं. सूत्रist..