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होती है कि है महितपाद में वेदना बाद में क्रिया कन्नई
भगवतीको छागा-पूर्व भगवन् । क्रिया, पत्रावेदना १ पूर्व वेदना, पवाद किया! मण्डित पुप्र! पूर्वकिया, पभादवेदना, नो.पूर्व वेदना, पाव क्रिया | अस्तिखल भदन्त ! श्रमणाना निर्मन्यानां किया क्रियते ? हन्त, अस्ति कयं खलु मदन्त 1 श्रमणानां निन्यानां किया क्रियते ? मण्डितपुर । ममाद. मत्ययात् , योगनिमियाग, एवं खलु श्रमणानां निग्रंन्यानो क्रिया क्रियते ॥२॥
किया और घेदना की धक्तव्यता'पुग्यि भंते ! फिरिगा पच्छा वेयणा' इत्यादि ।
सूत्रार्थ-(पुन्धि मंते ! किरिया पच्छायणा, पुबि वेयणा पच्छा फिरिया ? हे भदंत । पहिले क्रिया होती है और बाद में वेदना होती है कि पहिले घेदना होती.है और यादमें क्रिया होती है ? (मंडियपुत्ता) हे मंडितपुत्र ! (पुचि किरिया पच्छा चेयणा) पहिले क्रिया होती है ओर पाद में वेदना होती है । (जो पुचि वेयणा पच्छा फिरिया) पहिले वेदना और पाद में किया ऐसा नहीं होता है । (अस्थि णं भंते ! समणाणं निग्गंयाणं किरिया कजइ) हे भदन्त ? श्रमण निन्धों के क्रिया होती है क्या ? (हंता अत्यि) हां गौतम ! होती है । (कहंणं भंते । समणाणं निग्गंधाणं किरिया कजइ) हे भदन्त ! श्रमण निर्ग्रन्यों के क्रिया कैसे होती है ? (मंडि. यपुत्ता) हे मण्डितपुत्र ? (पमायपचयाजोग निमित्तंच) प्रमाद के निमित्त
. . व्यायन वनानु नि३५. . 'पुचि भंते ! किरिया पच्छा वेयणा' त्याल.
(पून्धि भते ! किरिया पच्छा वेयणा, पुचि वेयणा पच्छा किरिया ?) હે ભદન્ત ! પહેલાં કિયા થાય છે અને પછી વેદના થાય છે, કે પહેલાં વેદના થાય છે અને પછી ક્રિયા થાય છે?
(मंडियपुत्ता) भतिपुत्र ! (पुन्नि किरिया पच्छा वेयणा) Lei लिया याय छ भने पछी या थाय छे. (णो पुनि वेयणा पच्छा किरिया) पsat at थाय मन पछी दिया थाय से मानतुं ना. (अस्थिणं भंते ! समजाण निगंथाणं किरिया कन्जइ.?) BREra ! श्रम नियन्या वाया थाय छ मरी ? (हंता अत्थि) भाउतधुन ! तमना दास या थाय छे. (कह गं भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किंरिया कज्जइ १) महन्त भनिन्या दारावी शते या यांय छ ? (मंडियपुत्ती) भात! "(पमार्यपञ्चयां जोगनिमित्त .