________________
--
A
૨૭૮
भगवती किम् आद्रियमाणः प्रभुः १ अनाद्रियमाणः ? प्रभुः 'गौतम ! आदिपमाणोऽपि मभुः, अनाद्रियमाणोऽपि ममुः । प्रमुः खल भदन्त ! शक्रः देवेन्द्रः, देवरामः ईशानं देवेन्द्र देवरानं सपक्ष समतिदिशम् सममिलोमयितुम् ? यथा भातुर्माबना, तथा द्वौ अपि आलापको वातन्यो । प्रमः खल्ल भदन्त ! शक्रो देवेन्द्र, देवराज ईशान देवेन्द्र देवराज शक के पास जा सकता है क्या ? (इंता पभू)हां जा सकता है। (से णं भंते !आढायमाणे पभू अणायमाणे पभू ) हेभदन्त ! वह ईशानेन्द्र जय शक के पास आता है तो क्या वह उसके द्वारा बुलाया हुआ आता है कि विना बुलाया हुआ आता है। (गोयमा! आढायमाणे वि पभू अणाढायमाणे वि पभू ) है गीतमा आद्रित होता हुआ भी धुलाया हुआ भी आता है और विना लाया भी आता है। परन्तु इसके लिये यह नियम नहीं है कि यह वहाँ पहुँचने पर उसका आदर करे ही, करे भी और नहीं भी करे। (पभू णं भंते । सक्के देविदे देवराया ईसाणं देविदं देवरायं सपक्खि सपडिदिसिं समभिलोएइ) हे भदन्त ! देवेन्द्र देवराज शक देवेन्द्र देवराज ईशान को चारों तरफ और सय तरफ देख सकता है क्या? (जहा पाउन्भवणा तहा दोवि आलावगा नेयम्वा) हे गौतम जिस प्रकार पास में आने के संबंध में दो आलापक कहे हैं उसी तरह से देखने के विषय में भी दो आलापक जानना चाहिये। હે ભદ! દેવેન્દ્ર દેવરાજ ઈશાન, દેવેન્દ્ર દેવરાજ શક્રની પાસે જઈ શકે છે ? (हंता पभू) , १४ श. (से णं भंते ! आढायमाणे पभू? अणादायमाणे पभृ?) RET! शालावे त्यारे खानेन्द्र तनी पासे 8 : छ १ २ मादा०ये ५९४ छ ? (गोयमा ! आढायमाणे वि पभू अणादायमाणे वि पभू) गौतम! मालावे त्यारे पY or 8 छ भने विना બેલાચૅ પણ જઈ શકે છે. પણ તેને માટે એવો નિયમ નથી કે તે ત્યાં પહોંચતા તેને ( શકેન્દ્રને) આદર જ કરે. આદર કરે પણ ખરે અને ન પણ કરે (पभृणं भंते ! सक्के देविंद देवराया ईसाणं देविदं देवरायं सपक्खि सपडिदिसिं समभिलोएइ ?) - देव शम A देवेन्द्र देवरा शानन पारे त२६ मने थारे भुओं ने पाने समय छ । ? (जहा पाउन्भवणा तहा दोवि आलावगा नेयव्या) गीतमा पासे झापा विषयमाने ना सूत्रा। કહેવામાં આવ્યા છે એવાં જ બે સૂત્રપાઠો “ઈ શકવાના વિષયમાં પણ જોવા.