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भगनतीजे फस्मात् खल्लु भदन्त ! शमण देवेन्द्रेण देवराजेन चमरोऽसुरेन्द्रः, अमररानो नो शक्नोति स्वहस्तेन अदितुम् ? गौतम ! भमुरकुमाराणां देवानाम् अधोगतिविषयः शीघ्रम् शीघ्रगतिय, त्वरित स्वरितगतिश्चैव, ऊर्य गतिविषये अस्पः होते हैं, त्वरितरूप होते हैं और त्वरितगतियाले होते हैं। इस कारण फेंके गये पुद्गल को देव पीछे जाकर ग्रहण कर सकते हैं। (जड़ णं भंते देवे महिङ्कीए जाच अणुपरियहिताणं गोणिहत्तए, कम्हाणे भंते ! सरकेणं देविदेणं देवरपणा चमरे असुरिंदे असुरराया नो संचा. इए साहत्यि गेण्हित्तए) हे भदन्त ! घडी ऋद्धिवाला देव यावत् पीछे से जाकर ग्रहण कर सकता है तो हे भदन्त ! देवेन्द्र देवराज शक असुरेन्द्र असुरराज चमरको अपने हाथों से पकडनके लिये समर्थ क्यों नहीं हुआ ? (गोयमा) हे गौतम ! (अमुरकुमाराणं देवाणं अहे गइ विसए सीग्घे सीग्घगईचेच तुरिए तुरियागईचेव, उडगई अप्पे अप्पेचेच, मंदे मंदे चेव) असुरकुमार देवों का नीचे जाने का विषय शीघ्र और शीघ्रगतिवाला होता है, त्वरित और त्वरितगति वाला होता है तथा उँचे जानेका चिपय-उनका अल्प अल्प होता है और मंद मंद होता है । (वेमाणियाणं उडूंगइ विसए सीग्घे सीग्धगईचेव तुरिए तुरियगईचेय) जो वैमानिक देव होते हैं उनका उर्ध्वजानेका विपय शीघ्र और शीघ्रगतिवाला होता है, त्वरित और त्वरितगति
प्रश्न-(जइणं भंते ? देवे महिलाए नाव अणुपरियहित्ताणं गोण्डित्तए, फम्हाणं भंते ! सक्केणं देविदेणं देवरष्णा चमरे असुरिंदे असुरराया नो संचाइए साहत्थि गेण्डित्तए? महन्त ! न भद्धि व पुगतना पीछ। ५४ीन तेने પકડી લઈ શકે છે, તે અસુરેન્દ્ર અસુરરાજ શ૪, દેવેન્દ્ર દેવરાજ ચમરને તેમના હાથે જ भन ५४ी २४या ? उत्तर--(गोयमा ?) गोतम ! (असुरकुमाराणं देवाणं अहे गइदिसए सीग्घे, सीग्धगई वेव, तुरिए तुरियगईचेव, उड्ढ गई अप्पे अप्पेचेव, मेले मंटेचेव ) ससुरमा। नायनी माशुभ वामां शी मने तिवा, ત્વરિત અને ત્વરિત ગતિવાળા હોય છે, પણ ઉર્વલક તરફ જવાનું તેમનું સામર્થ અ૫ હોય છે એટલે કે ઉપરની બાજુની તેમની ગતિ મંદ અને વધારે મંદ હોય છે. (वेमाणियाणं उड्डूं गइविसए... सीग्धे सीग्धगईचेव, तुरिए तुरियगईचेव), વૈમાનિક દે ઊંચે જવામાં શીધ્ર અને શીધ્રગતિ સંપન્ન, ત્વરિત અને ત્વરિત ગતિ