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देवानाम् अधोगतिविषयः 1 हन्त, अस्ति, कुमाराणां देवानाम् अधोगतिविषयः मज्ञतः । पृथिव्याम् तृतीयां पुनः पृथिवीम् गताश्र गमिष्यन्ति च किमस्य भगवन ! हुए आनंद से अपना समय व्यतीत करते रहते हैं । (अस्थिर्ण भंते । असुरकुमाराणं देवाणं अहे गति बिस) हे भदन्त ! उन असुरकुमारों में ऐसी शक्ति है जो वे अपने स्थान से नीचे जा सके ? (हंता अस्थि) हे गौतम! हां उन असुरकुमारों में ऐसी शक्ति है कि जिसके कारण वे अपने स्थान से नीचे जा सकते हैं । (केवइयं चणं पभू ते असुरकुमाराणं देवाण आहे गति विस पण्णत्ते) हे भदन्त ! वे असुरकुमार यदि अपने स्थान से नीचे जा सकते हैं तो कहां नीचे जा सकते हैं ? (गोयमा जाव आहे सत्तमाए पुढचीए) हे गौतम ! वे असुरकुमार नीचे यावत् सप्तम पृथिवी तक जा सकते हैं । परन्तु यह यहां तक जा सकने का उनका केवल सामर्थ्य प्रदर्शन है। यदि वे जाना चाहें तो यहांतक जा सकते हैं । पर अभी वे यहां तक गये नहीं हैं न जाते हैं और न आगे भी जायेंगे । यह तो केवल उनकी नीचे जाने की शक्ति का प्रदर्शन मात्र है । (तच पुण पुढविं गया य गमिस्संति य) ये तो नीचे तीसरी पृथिवी तक पहिले गये है, वर्तमान में जाते थी पोताना समय व्यतीत उरे छे, त्यां सुधीनुं प्रथम शाहीं धनुं लेायो (अस्थिर्ण भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए ? ) हे अहन्त ! तेखो तेमना સ્થાનની નીચે જવાને સમર્થ છે ખરો ?
(हंता अस्थि) हे गौतम! ते सुरभार देव। तेमना स्थानथी नीचे क शत्रुवाने समर्थ छे. (केवइयं च णं पभू ते असुरकुमाराणं देवाणं अहे गति विस पण्णत्ते ! ) डे महन्त । असुरसुभार देवे। तेमना स्थानथी डेट नीचे कई A छ ? ( गोयमा ! जाव अहे सत्तमा पुढवीए) हे गौतम! तेथे सातभी પૃથ્વી સુધી નીચે જઇ શકે છે. પશુ તેમનું સામર્થ્ય ખતાવવાને માટે જ આ કથન કરાયું છે. તેઓ ધારે તેા સાતમી પૃથ્વી સુધી નીચે જઇ શકવાનું સામર્થ્ય ધરાવે છે. પણ આજ સુધી તે ત્યાં સુધી ગયા નથી, જતા નથી અને જશે પણ નહીં. તેમની શક્તિ બતાવવાના હેતુથી જ उपरोडत बात अद्वेषाभां खावी छे. (तव पुण पुरवि गया य गमिति य) तेसो नीये त्रीभुं पृथ्वी सुधीभूताभ गया है,
भगवती
कियच मनुस्तेषाम असुरगौतम । यावत् अधः सप्तम्यां
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