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पाइअसद्दमहण्णवो
अइंत-अइपरिणाम
क्रम्।
अइंत वि [अनायत् ] १ नहीं पाता हुमा । | अइगय वि [दे] १ आया हुआ । २ जिसने अइण न [अजिन] चर्म, चमड़ा (पान)। २ जो जाना न जाता हो; 'गाहाहि पणइणीहि प्रवेश किया हो वह (दे १,५७); 'ससुरकुलम्मि | अइणिय वि [दे. अतिनीत] आनोत, लाया य खिजइ चित्तं अईतीहि' (वजा ४)।
माइगो, दिट्ठा य सगउरव तत्थ' (उप ५६७ हुआ (दे १,२४)। अइंदिय वि [अतीन्द्रिय] इंद्रियों से जिसका टी)। ३ न. मार्गका पीछला भाग ( दे १, अइगिय । वि [अतिनीत] १ फेंका हुआ (से ज्ञान न हो सके वह (विसे २८१८)।
अइणीय ६,५६) । २ जो दूर ले जाया अइंमुत्त देखो अइमुत्त (प्राकृ ३२)। अइगय वि[अतिगत अतिक्रान्त, गुजरा हुआ
गया हो (प्राप)। अइकम अक [अतिक्रम् ] गुजरना, बीतना हिंडंतस्स अइगयं वरिसमेग' (महा; से १०, अइणीअ वि [अतिगत] गत, गया हुआ (सुख 'देवश्चणस्स समग्रो प्रइकमइ दुद्धरस्स रायस्स' | १८ विसे ७ टी)।
२,१३)। (सम्मत्त १७४) । देखो अइक्कम अति + | अइगय वि [अतिगत] प्राप्त; 'एवं बुदिमइ- अइणीय वि [दे. अतिनीत] मानीत, लाया
गो गब्भे संवसइ दुक्खिनो जीवो' (तंदु हुआ (महा)। अइकाय पुं[अतिकाय] १ महोरग ---जातीय | १३)।
अइणु वि [अतिनु] जिसने नौका का उल्लंदेवों का एक इन्द्र (ठा २)। २ रावण का एक अइचिरं प्र[अतिचिरम् ] बहुत काल तक
घन किया हो वह, जहाज से उतरा हुआ पुत्र (से १६, ५६) । ३ वि. बड़ा शरीरवाला (गा ३४६)।
(षड्)। (णाया १,६)। अइच्च देखो अइइ = अति + इ।
अइतह वि [अवितथ] सत्य, सच्चा (उप अइक्कत वि [अतिकान्त] १ प्रतीत, गुजरा अइच्छ सक [गम् ] जाना, गमन करना। १०३१ टो)। हुमाः 'अइक्कंतजोवरणा' (ठा ५)। २ तीर्ण, अइच्छइ (हे ४,१६२)।
अइतेया स्त्री [अतितेजा पक्ष की चौदहवीं पार पहुंचा हुआ (माव)। ३ जिसने त्याग किया अइच्छ सक [अतिक्रम् ] उल्लंघन करना। रात (सुज्ज १०,१४)। हो वहः 'सबसिरोहाइक्कंता' (प्रौप)। अइच्छइ (ओघ ५१८)। वकृ. अइच्छंत | अइदंपन्ज न [ऐदंपर्य तात्सर्य, रहस्य, भावार्थ अइक्कम सक [अति + क्रम् ] १ उल्लंघन (उत्त १८)।
(उप ८६४; ८७६)। करना। २ व्रत-नियम का आंशिक रूप से | अइच्छा स्त्री [अदित्सा] १ देने की अनिच्छा। अइदुसमा ) स्त्री अतिदुष्षमा देखो दुस्सखण्डन करना: 'अइक्कमई' (भग)। वकृ. अइ- । २ प्रत्याख्यान विशेष (विसे ३५०४)।
अइदुस्समा मदुस्समा (पउम २०,८३
अइदूसमा '१०, उप पृ१४७)। कमंत, अइकममाण (सुपा २३८, भग)। अइच्छिय वि [गत] गया हुआ, गुजरा हुआ
अइदंपज्ज देखो अइदंपज्ज (पंचा १४)। कृ. अइकमणिज्ज (सूत्र, २,७)। (पउम ३, १२२; उप पृ १३३)।
अइधाडिय वि[अतिध्राटित] फिराया हुआ, अइक्कम पुं[अतिक्रम] १ उल्लंघन (गा अइच्छिय वि [अतिक्रान्त प्रतिक्रान्त, उल्लं३४८) । २ व्रत या नियम का प्रांशिक खण्डन घित (पान, विसे ३५८२) ।
धुमाया हुआ (पएह १,३)। (ठा ३, ४)।
बजाय अतिजा
| अइनिठुहावण वि[अतिविष्टम्भन स्तब्ध अइक्कमण न [अतिक्रमण] कार देखो (सुपा संपत्ति को प्राप्त करनेवाला पुत्र (ठा ४)।
करनेवाला, रोकनेवाला (कुमा)। २३८)।
अइन्न न [अजीर्ण] १ बदहजमी, अपच । २ अइह वि अदृष्ट] १ जो न देखा गया हो अइक्ख वि [अतीक्ष्ण] तीक्ष्णतारहित;
वि. जो हजम न हुआ हो वह । ३ जो पुराना वह । २ न. कर्म, देव, भाग्य (भवि) । उव्व, 'अइस्खा वेयरणो' (तंदु ४६)।
न हुआ हो, नूतन (उव)।
पुव्व वि [पूर्व जो पहले कभी न देखा अइक्ख वि (अनीक्ष्य अदृश्या 'अइक्खा गया हो वह (गा ४१४; ७४८)।
अइन्न वि[अदत्त नहीं दिया हमा। "याण वेयरणी' (तंदु ४६)। अइह वि [अदृष्ट जो देखा न गया हो वह
न [दान] चोरी (प्राचा)। अइगच्छ । अक [अति + गम् ] १ गुजरना, (हास्य १४६)।
अइपंडुकंबलसिला स्त्री [अतिपाण्डकम्बल अगम बीतना। २ सक, पहुँचना। ३ अइह वि [अनिष्ट] १ अप्रिय। २ खराब, दुष्ट; शिला] मेरु पर्वत पर स्थित दक्षिण दिशा की प्रवेश करना । ४ उल्लंघन करना। ५ जाना, 'जो पुणु खलु खुदु अट्ठसंगु, तो किमन्भ
एक शिला (ठा ४)। गमन करना। वकृ. अइगच्छमाण (णाया स्थउ देइ अंगु' (भवि)।
अइपडाग पुं [अतिपताक] १ मत्स्य की एक १,१)। संकृ. अइयञ्च (प्राचा); 'अइगतूण | अइहा सक [अति + स्था] उल्लंघन करना। जाति (विपा १, ८)। २ स्त्री. पताका के अलोग' (विसे ६०४)। संकृ. अइट्ठिय (उत्त ७)।
ऊपर की पताका (णाया १, १)। अइगम पुं[अतिगम] प्रवेश (विसे ३८६)। अइट्ठिय वि[अतिष्ठित] अतिक्रान्त, उल्लंधित अइपरिणाम वि [अतिपरिणाम] आवश्यअइगमण न [अतिगमन] १ प्रवेश-मार्ग| ( उत्त ७)।
कता न रहने पर भी अपवाद-मार्ग का ही (णाया १, २) । २ उत्तरायण, सूर्य का उत्तर | अइण न [दे] गिरि-तट, तराई, पहाड़ का | आश्रय लेनवाला, शास्त्रोक्त अपवादों की मर्यादा दिशा में जाना (भग)। निम्न भाग (दे १, १०)।
का उल्लंघन करनेवाला
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