________________
विषय-सूची
अष्टम विधानक:- प्रतिमति का विवाह (१००) सुग्रीव के साथ विवाह । रावण द्वारा इन्द्र से युद्ध करने का विचार १०१ रावण द्वारा जिन पूजा १०२ रावण का सहस्ररश्मि से युद्ध, १०३ सतवाहन मुनि द्वारा उपदेश १०३ सहस्ररश्मि द्वारा मुनि वीणा ।
नवम विधानक-यश भेद की चर्चा १०६ वसु सजा १०६ गारद का आगमन १०७ नारद एवं पर्वत के मध्य चर्चा १०८ स्वस्तिमति द्वारा वसु राजा से बचन मांगना १०६ नारद वचन १०१ परवत द्वारा सन्यास ११० मारत राजा को संबोधन १२० नारद का जन्म एवं जीवन १११ नारद का उपदेश ११२ नारद पर उपसर्ग ११३ रावण द्वारा नारद को सहायता करना ११३ ऋषभ वर्णन ११४ रावण का कनकप्रभा से विवाह ११५ भाद्रपद के प्रत ११६ ।
दशम विधानक-रावण की कन्या का मधु के साथ विवाह ११६ मधु का वृतान्त ११६ युद्ध वर्णन ११९ रावण द्वारा विद्या प्राप्ति १२१ रावण की विजय १२१ नलकूबड़ की राजा से बात १२२ इन्द्र का क्रोध १२३ रावण की सेना १२३ इन्द्र द्वारा बुद्ध १२४ इन्द्र प्रोर रावरण में युद्ध १२५ ।
११वां विधानक-सहस्रार का रावण के पास जाना १२६ इन्द्र को छोड़ने की प्रार्थना १२६ इन्द्र को छोड़ना १२७ इन्द्र की व्यथा १२८ मुनि चन्द्र का मागमन १२८ इन्द्र के पूर्व भव १२६ इन्द्र का मान मंग का कारण १३६ इन्द्र द्वारा मुनि दीक्षा १३१ ।
१२वां विधानक-अनन्तवीर्य मनि को कैवल्य प्राप्ति १३१ रावण द्वारा वन्दना १३२ भगवान की वाणी १३२ लोभदत्त सेठ की कथा १३३ भ्रदत्त सेठ की कथा १२५ कुम्भकरण द्वारा धर्मोपदेश की प्रार्थना १३५ रात्रि भोजन निषेध १३६ रावण द्वारा व्रत ग्रहण १३७ ।
१३वां विधानक-हनुमान का जीवन १३७ अंजना के विवाह की चर्चा १३८ राजा महेन्द्र एवं राजा प्रहलाद की मॅट १३६ पवनंजय के साथ विवाह प्रस्ताव १३६ प्रजना को देखते को उत्सुकता १३६ दासी द्वारा विद्युत वेग की प्रशंसा १४० पवनंजय की निराशा १४० दंतीपुर पर चढ़ाई १४० पवनंजय अंजना विवाह १४० भंजना का दुःख १४१ रतन शीय राजा के साथ रावण का युद्ध १४२ राजा प्रहलाद के पास संदेश १४३ पवनंजय द्वारा युद्ध में जाने का मानरा १४३ अंजना द्वारा पत्र - जय को विधाई १४३ पवनजय द्वारा चकवा चरुवी का वियोग देखना १४४ प्रजना से मिलने की इच्छा १४४ अंजना पवनंजय मिलन १४४ अंजना को मुद्रिका देना १४६