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मुनि सभापंच एवं उनका पाराल
१४वां विधामक-प्रजाा ारा गर्म धारण करना १४६ केतुमति द्वारा पूछताछ १४६ अंजना द्वारा स्पष्टीकरण १४६ मजना को ताहना १५७ प्रजना का निष्कासन १४७ अंजना का महेन्द्रपुरी जाना १४८ पिता द्वारा निष्कासन १४८ सद प्रोर से तिरस्कृत १४६ गुफा में शरण लेना १५० बन में मुनि दर्शन एवं वंदना १५० बसंतमाला द्वारा पति वियोग का कारण पूछना १५१ मुनि द्वारा समाधान १५१ कनकोदरी द्वारा जिन प्रतिमा को चोरी १५२ प्रभु जन्म की भविष्य वाणी १५३ रनबूल का प्रागमन १५३ पुत्र जन्म १५४ खेचर के प्रश्न का उत्तर १५५ खेचर का परिचय १५५ जना का विद्याधर नगर जाना १५५ विमान से हनुमान का गिरना १५६ ।
१५वां विधामक-पवनंजय सारा रावण से विदा १५६ पवनंजय का मादित्यपुर नागमन, अंजना के निष्कासन के समाचारों से दुखित होना, ससुराल जाना १५७ अंजना की तलाश १५८ पवनंजय का संदेश १५८ मंजना की चिन्ता, पवनंजय की प्राप्ति १५६ जना पवनंजय मिलन १६० ।
१६वां विधानक-वरुण द्वारा रावण से युद्ध १६१ हनुमान द्वारा युद्ध __ में जाने की इच्छा १६१ कुभकरण द्वारा सूटमार १६२ रावण द्वारा निन्दा १६२ वरुण को पुन: राज देना १६2, बामरवंशी राज वर्णन १६३ ।
१७वां विधानक-वीरफ सेठ वनमाला वर्णन १६४ राजा की व्याकुलता १६५, पूर्व जन्म १६६ बीरकसेठ की तपस्या १६६ स्त्री को दुःख देना १६७ मुनि सुप्रतनाथ का जन्म १६८ जीवन १६९ हरियंसी राजा १७० राजा वचमाह वर्णन १७१, कीर्तिघर राना वर्णन १७३।
१च्या विधानक-कौतिघर की तपस्या १७४ राजकुमार द्वारा वैराग्य १७४ कठोर तपस्या १७६ चित्रमाला को पुत्रोत्पति १७७, न घुष राजकुमार को राजा बनाना १७७ स्योदास द्वारा जीय हिंसा पर प्रतिबन्ध १५७ राजा द्वारा मांस खाने की इच्छा १७८ सिद्धसेन का राजा बनना १७८ दशरथ का राजा बनना १७६ ।
१९वां विधानक-दशरथ वर्णन १५० नारद का आगमन १८० नारद द्वारा रावण की वार्ता १८01
२०वां विधानक-कैकेयी वर्णन १८१ स्वयंबर रचना १८२ दशरथ वारा युद्ध ।
२१वां विधानक-मपराजिता द्वारा स्वप्न दर्शन १८४ सुमित्रा द्वारा स्वप्न दर्शन १८४ लक्ष्मण जन्म १८५ भरत जन्म, राम जन्म १८५ चारों भाइयों द्वारा विद्या सीखने का वर्णन ।