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葬爷
पद्मपुरा
नरपति विद्यावर इक दिवस पुर लंका में कीनु परबेस ॥ उपसम भाव देस फिर प्राइ । सुकेस किकंग का संसा जाई ||६१|| किषषराय परवत पर गया । बीमाला राशी संग भया । fairyर बसाया देश । सुखसौं राज पालै सुनरेस ||१२|| दोय पुत्र भए तर गेह | सूरज प्रकार कंचन देह ॥ पुत्री सुरज कमला भई । कमल जेम सोमा तसु दई ||२३||
राजा मेर मेघ के घनी । पंथारणी राणी सु जोड़ी बनी ॥ मृग दमन पुत्र गुनवंत । रूप लक्षण सोभा सौमंत ।। २४ ।। इक दिन कुंवर गया या काम । देवी सूरज कमला नांम ॥
पिता स विनती करी। सूरज कमला विवाही तिरी ॥६५|| राजा मेर किंव पुर गया । किंषध राय सौं विनैवंत भया । प्रभु मोपरि कृपा, तुम करो । सूरज कमला मम पुत्री वरो ॥ ६६ ॥ किबंध राम ने पुत्री दई । लिख्यौ लगन सुविधाई भई ॥ रहारली सों हुवा विवाह क्रीडा गमन बहु तो उछाह ॥६७॥ सुकेस राय इंद्राणी तिरी कराकुड पुर नगरी करी 11 मंदिर भले सुहावन रूप खाया सीतल कहीं न धूप ॥ ६८ ॥ बाग बगीचे सोभ बने । चैत्याले श्रीजिनवर के बने || नित उठ दरसन पूजा करें। जिनवाणी हिरदे में घरे ॥ ६६ ॥ अनुक्रम तीन पुत्र अतरे । रूप लक्षण करि सोमं खरे || प्रथम माली सुमाली और मालिवान ते सो ठोर ।। १०० ।। हेमपुर नगर व्योम भूपती । भोगवती राणी सुभमती ।। चन्द्रमती पुत्री ग्रवतरी माली सौ बिवाही सुभ घरी ।। १०१ ।। प्रीतंकर राजा प्रीतंकर देस प्रीतवती राखी गुणवेस || प्रीति पुत्री सुमाली कुंदई बहुत श्रादर बधाई भई ।। १०२ । । कनकपुर नगर कनक है देस | कनक नरेश राणी किन्नर बेस | कनकावली पुत्री ता भई मालीवान कुंवर को दई ।। १०३ ।। मासी कुंवर पराक्रम पर लंका किंवधपुर कीडा करें || माता पिता कहे समझाय | लंका किबंदपूरी मत जाय ।। १०४ ॥
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पु कुवरम सौं विरतात कि कारण वरजु ह्वां जात || पिछली कथा कही सब बात । उट्या क्रोध रोमखरी गात ॥ १०५ ॥ २
कहें कि अब लंका मैं जाउं करि संग्राम से सब ठांउ ॥ तात मात समझाव वंन । निरघात राजा के बहुत सेन ॥ १०६ ॥