________________
३॥
पचपुरगण
मरियम की कमा
अईसा केसो गर्ह न्याई । जे वह मुबां जीव छिपाई ॥३७६४! अष्यरपुर नगर हरदध भूप । लछमीवती परणी सुखरूप ।। अरिदम पुत्र वा गर्भ भया । जोवन समं उछाह अति थया ।। ३७६५॥ यसुसुदरी व्याही प्रमतरी । रूप नष्यन गुण लोचन भरी ।। राजा राणी भए चैराग । गजचिमूत मकल साहिवी त्याग ।।३७६शा अरिदम पुरु का राजा किया । ग्राप जाइ संयम व्रत लिया ।। अरिदम अधिक प्रतापी पया । भूप प्रताप सकल छिप गया ॥३७६७।। सब पृथ्वी का जीत्या नरेस । मनाय प्राण लीया सह देस । फिर माया प्रक्षरपुर नगर । हाट बाजार छाए तिहां सगर ।। ३७९८11 घर घर बांधी बांदरवार । भया रहसि प्रति नगर मझार || घरि घरि रली बधावा भए । परियण में सुख उगों नये ।। ३७६६।। बहुत प्रानंदस्यौं पायो सय । रत्नमुष्ठि भर द्वारत जाय ।। राजा मंतहपुर में भयो । राशीमसि योग ।।३।। जो कछु नई बात तुम सुगी । अंसी हमस्यौं कहिये मुणी ॥ राणी फहे तुम मुशियो कंत । कीरतपर मुनिवर सु महंत ।।३८०१॥1 इक दिन पाए लेग पाहार । भोजन पाय घल्या तिण बार ।। मैं पूछया तुमारा परताय । कब यावै प्रभित्रीपति प्राप ॥३८०२।। मुनि वोले जीतेगा सब मही । पण बाकी भारवल तुछ रही ।। धा दिन त चिता है मोह 1 सृणु प्रभू समझाई तोहि ।।३८०३।। राजा सुम्पि के गयो उद्यान । जहाँ बेठ्या भूनि प्रातम ध्यान ।। पुछ मुनि मूतव ही नरेन्द्र । मेरे मन की कहो मुनिद ।।३८०४।। बोल मुनिद पूछो तुम प्राय । रह दिन सात जीवण के राव ।। पूर्छ नरपति कारण कोणा । समझायो स्वामी तजि मौन । ३८०५।। कहैं मुनीस्वर सुणो मृवाल । विद्युत पात सों तेरा फाल ।। सोचे मूपति मुनि सुण वात । कार उपाव बचे जिव घात ।।३८०६।। बुलाह मंतरी मतो उपाइ। मुनि के वमन निरफल जाई। एक जतन सुउदरी राव । लोह की कोठी तुम करवाइ ।।३८०७।। बाड वाम राजा तुम पैठ । सांगाल लगाव इवा हेठ ।। वज्र सांकुल कठाडयां वांधि । डार दह में जिहां नीर अगाध ।।३८०८।।