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मुनि सभाबंद एवं उनका पमपुराण
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मात पिता सुत निकसे खोज । तीन व्याकुल रोवं रोज ।1 भर्मा सौज सों छोट्या गेह । तीनू बिछुडे ढूढत एह ।।२०३२।। बहत प्रकार ले ले नाम । दृहत फिर नगर पुर ग्राम।। घर कू चोर लूट ले गये । तीनु फेर भिखारी भए । २०३३।। विमुच विप्र जमना पर गया । भिक्षा मांगि निज मारग लिया। इन कुवास नरइ मलीग । भ्रमत भ्रमत देही भई छीन ।।२०३४।। उरजा देखि तब वामौं मिली । अनुक्रम बात पाछली गिली ।। इनव सनी कही समभाय । बेटी किसके घर समाय ॥२०३५।। हम तुम दोन्यू एक ही जात । मे एन नी है ति !! पुष कू मिले गया मंदेह । सरचार पुर गये दोऊं एह ।।२०३६।। कमलांति अनिका के पास । दिक्षा लई सुगति की प्रास ।। विमुच चिन भी दिक्षा लई । करी तपस्या मन वच कई ।।२०३७।। पहुंचे तीन ग्रीन बिमाण । अदभुत सरिसा भवर कयाग ।। तीनु थाप प्रान की प्रान । करें बहुत मिथ्या मत ध्यान ।।२०३८।। जन धरम की निंदा करें। मिथ्या घरम को निश्च धरै ।। सरसा बहुगति भ्रमी अथाइ । अंत भई हिरणी परजाइ ॥२०३६।। चल्यो केहरी पाछे दोडि । हिरणी धसी दवानल माहि ।। बहरि कनक परवत परिजाइ । सिंघ देखि भागी उनकाय ।।२०४०।। छुटे प्राण हिरणी तहां मुई । चध्वज सुता चित्रोत्सवा भई ।। ग्यांना अम्या बहुत संसार । घूमकेत धर लीयां अवतार ३२०४१।। पिंगला नांस पुत्र ते भया । चिवोत्सवा पुगल ले गया । प्रतिभुत च्या गति भ्रम्या । अंत समं हंस गति जम्यां ।।२०४२॥ ताराछ सरोवर क्रीडा करें । एक दिन गाय कोच में पडें ।। लाग्यो कीच पोख भर गई । उन सके अपाहिज भई ।।२०४३।। जिनवर थान जाइ गिर पड़े । जसोमित्र तिहाँ मुनि तप करें। अंत सुण्यां परमेष्ठी नाम । किन्नर देव भया तिण ठाम ।।२०४४।। दस हजार संवतसर आव । कुंडलमंडल हवा राव ।। विदाघ नगर का राजा हवा 1 पिंगल संग पहुंची चित्रोत्सवा ।।२०४५।। त्रिया चोर द्विज नै दुख दिया । पिंगल तप करि देवता भया ।। विमुच जीव चन्द्रगति भूप । प्रनकोसा पुष्पावती रूप ।।२०४६॥ उरजा भई विदेहा नारि । चित्रोत्सया सीता प्रवतार ।