________________
२१०
भाई बहिन मिसन
पद्मपुर
भाई बहन जुगलिया भए । पुत्री पुत्र जनक घरि गए । २०४७ ।। पूरव भव का कारण मिल्या । इस सनबंध इसके घर पल्या || सुन्यो सकल पिछलो बिरतांत । उठी रोम सब ही के गात ॥। २०४५।० भामंडल सीता मिले रोइ । समझावै उनको सब कोइ || जनक कनै ए सब बेग पुचाई । अनिडा विदेहा माई ||२०|| गया दूत पत्र दीया ताहि । वांचित मोह उदय भयो आइ ।। पवनवे तब कहै तुम चलो । पुत्र भावना सेती मिलो ।। २०५७।।
चत्रे विमान सहित परिवार भयो सुख मन हरष पार || गए अजोध्या मिले गल लागि । मात पिता मिलिया बड भागि ।।२०५१।। धन्य जननी जिन पायो वीर | बाललीला देखी सवीर | गति । भो शुरू अति
दिखलाई
करत रामचंद्र के मन उल्लास | सकल कुटंब मिल्यो ता पास ॥ भामंडल कहै दिक्षा लेहु । रामचन्द्र समझा देव ॥। २०५३ ।।
सुम बालक जोवन भरी देह हम तुम हुवा अधिक सनेह || जब हम दिक्षा लेस्या जाई । तब तुम हम संग लीज्यो भाइ ।1२०५४ ।।
भामंडल सेना सयुक्त । रथनूपुर में जाय पहू व 1
जनक कनक का सव परिवार। मिथलापुरी गए विहवार ॥२०५५१
सीता राम अधिक सुख भया । बहु प्रकार आनंद सब या I सगलां की चिंता मिट गयी। दिन दिन सहस विभव गुगा थई ।। २०५६ ॥
अहिल
पुण्य उदय परिवार बर्ष दिन दिन धरणां
विधुरं प्रीतम मिलें बहुत घरि सजणा ॥ मेरी सागे पाय धरम परभाव
॥ संपत्ति मिलें अनेक कृपा जिनराज सौं । २०५७।। इति श्री पद्मपुराणे भामंडल समागम विधानक विमानक
२७
चाँई
कार का मुनि के पास जाकर अपने पूर्व व पूछना
राजा दशरथ मुनि पास गया। नमसकार करि चरणी नया ॥ स्वामी मो मन र सन्देह | मो भव भाषो लहू ७२०५६।।