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पप्रपुराए
रावण खोटमा कुट, अंतरिगति सोच्या नहि ।। नोइ धरम का सूल, सज्जन ते दुरजन भया ॥३२२८॥ इति थी पमपुराणे भभीषम राम समीप प्रागमन विधान
५० ब विधामक
चौपई अक्षोहिणी संख्या
श्रमिक नप जोडे दोड हाय । क्रिमा करि भाषी जिन नाथ ।। भोहिणी गिनती किस भांति । मोकू समझायो बिरतांत ।।३२२६।। श्री सरवज्ञ के उत्तम वैन । सुगते सब के मन बैन ।। गोतम स्वामी करें बस्नान । बारह सभा सुगा धरि कान ॥३२३०।। अष्टप्रकारी सेन्यां संग । च्यारि च्यारि इक हक के अंग ॥ पति हाथी घोडाने स्थ । पायक और सुभट बहथ ।।३२३१।। हारी एक पयदल पांच । तिगुनें एक एकतै वाच ।।
असी विघतं गिणती बढे । इस लेखे अाठ लो बढे ।।३२३२॥
आय क्षोहिणी कहै छ। पति १ सेना २ मुष ३ अनीस ४ वाहनी ५ चमू ६ बरू ७ दंड ८ से आठ प्रकार की सेना कहीं। नवमी अक्षाहणी कहजे । नवघोडा : पर तीन रथ ३ तीन हाथी ३ पन रह पायक १५ ए च्यार प्रकार सेना वा भेद छ । हिवं मुख कहै छ। हाथी ६ रथ ६ घोड़ा २७ पयदल ६१ पयादा १३५ ए प्रतीक हुई 1 अथ बाहनी कहैं छ । गज ६१ रथ ६१ घोड़ा २४३ पक्यासीय दल च्यार से पांच । ए वाहनी कहेजे । चम् कई छ । दोय से तियालीस २४३ हाथी रथ २४३ सात में गुणतीस ७२६ घोडा बारी से पनरा १२१५ पयादा ए चमू कहेले 1 विरुधनी कह छ। रथ ७२६ सात सै गुणतीस हाथी ७२६ सात से गुणतीस । घोडा २१८७ इकबीस से सत्यासी । पायक छत्तीस से पैंतालीस ३६४५ । हिबई दंड कहे छ । इकबीस स सत्यासी २१८७ हाथी। इकबीस से सत्यासी २१८७ रथ ।
घोडा पंसठ सौ इकसक ६५६१ । प्यादा नवसौ पैतीस । पर दस हजार हवं ए दंडक कहेजे । प्रक्षोहणी को छ । गज इकबीस हजार । पाठ सं सिहत्तर रथ । पैसठ हजार छ: सं दस घोड़ा । एक लाख नौ हजार तीनसे पचास पैदल । एक अक्षोही कहे जे । प्रथम पति १ सेनापति २ गुलम ३ वाहिनी ४ पंचम सति । छठी प्रतिनांच ६ । सातमी च ७ । प्रनीकनी मने दस गुनी भई ।] रोनों दलों के सामर्थ्य की पर्चा
इतने से क्षोहिनी उक होय । इस विध समझो गुनीयन लोय ।। दोई बांदल हुमा इक ठोर । मत्ता कारं दान्यु फोजां सोर ।।३२३३।।