________________
मुनि सभाचंद एवं उनका प
कोलियर राजा बन
te
कुसाल नम्र हरेन्द्र नृप रूप ता घरि पुत्री अविक अनुप || कीर्त्तिधर सौं ब्याई चात्र ।।१५४१ ।।
महदेव्या कन्या का नाम
।
माया लोभ न लाके रती ॥
भूप पुरेन्द्र हुवा जब जती क्षेमंकर पामै दिक्षा लई । आतमध्यान मे सदा रहे६ ।। १५४२ ।। कीवर अधिक प्रतापी भया । पृथ्वीतणां राज सच लिया || सकल भूप तसु मारणे प्रांण । या सम राय न को बल जान ।।१५८३ ।।
एक दिवस सूरज कौं केस किया ग्रहण प्रसुभ के है ।। सुरज छिप्या भया अंधकार 1 उडगन जौति भई संसार || १५४४ । राजा देखि ति चिंता करी । भैंसी प्राउ जरा सी घरी ॥ जैसे केतने रवि कु मया । व्यापत जरा पराक्रम दया ।। १५४५ ।। रवि तो छूट जाय ततकाल । जरा च तब पापं काल ।। मंत्रिया सौ इम कहै भूपाल । तुम बालियों धरम की चाल ।। १५.४६ ।। प्रजा देस की कीज्यो सार | हम अब ले संयम का भाल ।। मंत्री सर्व कहें सीस नवाय । तुम बिन क्यों देस साध्या जाय ।११५४७ ।। तुम भुगतो पृथ्वी का राज 1 हम तुम आगे संवागं काज ॥ परा लोग करे सब भाग हमारा कया सुरणों तुम राय ।।१५४८६ ।। तुमारे राज प्रजा सब सुखी । तुम आगन्यां में कोई न दुखी ।। तुम जिन छोड्यो राज आपणां । तुम तें हम सुख पाया धरणां ।।१९४६ ॥ करो राज भोग मन ल्याइ | संतति होइ दीक्षा त्यो जाइ ।। राजा इनका मात्र्या का राज भोग में फिर रम रह्या ।। १५५० ।। परजाने बहु दीना दान । घर घर बाजे भानन्द निसान ॥
इक दिन जनम्या पुत्र उदार तास सुकोसल नाम कुमार || १५५१।। मंत्री की एक हिकमती । पुत्र ने राखियो गुपती ॥ ब्राह्मण मने किये सब जाय। राजा पासि हुवो मति ल्याइ ।। १५५२ ॥ जब एक मास वीत कर गया । ब्राह्मरण जब प्रासीरवाद दिया || दई दोब राजा के हाथ । पुत्र जनम जाण्यां नरनाथ ।।१५५३ ।।
चूहा हुआ सुकोमल तणी फिराई । प्राय राय दीक्ष्या लई जाय ॥ तेरह विध चारित्र व्रत लिया । श्रातम ध्यान मुनीश्वर किया ।। १५५४ ।।
इति श्री पद्मपुराणे श्री मुनिसुव्रत बच्चबाहु कीर्तिभर महासन बनं ।।