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विषय-सूची
दसा का अनरष तपस्थी के पास जाना तपस्वी का कन्मा के पास जाना २४८ अनन्तवीर्य मुनि के पास देवों का जाना, दोनों मुनियों को केवल शान होना २४६ ।
३५वां विधानक-सूरजमल राजा द्वारा राम का स्वागत २४६ राजा राम का प्रागे गमन, बन जीवन चारण मुनियों को याहार २५० गृद्ध की कथा, मनि पर उपसर्ग २५१ मुनि के चारों ओर अग्नि जलाना, अचलराय एवं गिर देवी द्वारा मुनि को प्राहार, सुकेत प्रोर अग्निकेतु द्वारा दीक्षा लेना २५२ कन्या का भविष्य, कन्या का वैगग्य भाव २५३ ।
३६वौ विधानक-दण्डक वन में पहुंचना, पन शोभा २५४ । यो विधानक--
इन्चकाना, कथा २५५ सूरजहास खडा निमित्त से शंबूक की तपस्या, लक्षमण द्वारा सूरजहास की प्राप्ति २५७ देव पुनीत बाभूषणों की प्राप्ति, चन्द्रनखा द्वारा विलाप, राम लक्षमण से भेंट २५८ ।
३८षाँ विधानक-चन्द्रनखा का खरदूषण के पास जाना, स्वरदूषण का कुपित होना २५६ रावण के पास दूत भेजना, खरदूषण का दंडकवन पहुंचना लक्ष्मण द्वारा युद्ध रावण का बागमन २५६ सीता को देखना, करण गुप्ति विद्या का ध्यान करना, रावण द्वारा शंखनाद, राम का लक्ष्मण के पास जाना, सीताहरण सीता का विलाप, जटायु कारा माक्रमण ३६० रावण द्वारा खेद, राम का विलाप
३९वीं विधानक-लक्ष्मण खरदूषण युद्ध, लक्ष्मरग की विजय २६२ लक्ष्मण का विलाप, विद्याधरों का प्रागमन, चारों और दूत भेजना, रावण के पास जाना २६३ कपि द्वारा देखना प्रलंकागढ़ में पहुचना-२६५ ।
४० बाँ विधानक - रावण की सीता के समक्ष गर्योक्ति, सीता का कराग उत्तर प्रशोक वाटिका में सीता को रखन। २६६ चन्द्रनाम्खा का रावण से निवेदन, मन्दोदरी राबए सबाद, दूती का सीता को समझाने का असफल प्रयास २६७ राम की व्याकुलता, मन्त्रियों द्वारा विचार २६८ ।।
४१वां विधानक-राम सुग्रीव मिलन २६६ राम द्वारा सुग्रीन का राज्य देना, सुग्रीव की यिचय २७० सुग्रीन द्वारा कन्याओं को मेंट २७१ ।
४२वाँ विधानक-कन्यानों के हाव भाव, जमदत हारा माता प्राप्ति की खोज २७२ सीता की खोज, रतनजटी सुग्रीव मेंट, रतनजटी द्वारा लंका परिचय २७३ जावूनद मंत्री का कथन, बंदर मोर कथा २७४ लक्ष्मण का क्रोधित होकर निपचय करना २७५ रावण की मृत्यु के सम्बन्ध मे भविष्यवाणी, लक्ष्मण द्वारा शिला उठाना २७६ ।