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मुनि सभाचंद एवं उनका एयपुराण
१८वां विधानक-राम द्वारा पश्चाताप करना, मग्नि परीक्षा में सफलता ४२६ सीता का इसर ४३० नरकों के दुःख वर्णन ४३१ द्वीप समुद्र वर्णन ४३२ सुख की तरतमता तस्ववर्णन ४३३ ।।
EEवां विधानक-विभीषण द्वारा प्रश्न, सर्वभूषण द्वारा वर्णन ४३५ मुनि के पास जाना ४४३६ रुपस्वी जीवन ४४० ।
१००वा विधानक- सीता पृज्या ४४५ । १०१वां विधामक-सीता की पूर्व कथा ४४ ।
१०२वां विधानक-प्रद्युम्न संवृकुमार के पूर्वभव ४५२ मधु कीटक भव वर्गन ४५४ ।
१०३यों विधानक-लक्ष्मण पुत्र निष्क्रमण ४६० । १०४वो विधानक- भाव मण्डल पर लोक गमन ४६२ । १०५वाँ विधानक-हनुमान निर्वाण ४६३ । १०६वा विधानक - संकर सुर संकर कथा ४६४ । १०७वा विधानक-लवकुश दीक्षा ४६५ ।। १०८वा विधानक-लक्ष्मण की मृत्यु पर राम का विलाप ४६७ । १०६वां विधानक-विभीषण द्वारा संसार स्वरूप वर्णन ।
११०वां विधानक- राम का तोड़ मोह, अयोध्या पर आक्रमण, देव रूप बटायु द्वारा सहायत्ता ४७१ कृतांतच द्वारा राम को समझाने के लिए माया रचना ४७२ राम को वास्तविक ज्ञान प्राप्त होना ४७३ ।
१११वां विधानक- राम का वैराग्य ४७५, वैराग्य ४७६ ।
११२वा विधानक- राम की तपस्या ४७७ सीता के जीव सीतेन्द्र का राम के पास भागमन ४७६ राम को केवल ज्ञान प्राप्ति ४८० ।
११३वा विधानक- दालुका पृथ्वी में रावण, मंबुकुमार की दशा वर्णन ४८३ राम केवली के पास देबों का मागमन ४८४ समवसरण ४८४ प्रश्न, राम की वारणी ४८५ लक्ष्मण के प्रति जिज्ञासा ४२७ पदमपुराण की स्वाध्याय का महत्व ४८८ रविषणाचार्य द्वार पद्मपुराण की रचना ४८६ 1
११४या विधानक-काष्ठासंघ पट्टावली ४६०. मल संघ प्रशस्ति ४६१ । अनुक्रमणिका-४६३ से शुद्धि-पत्र ५०६ लेखक परिचय ५०७ ।