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मुनि सभाषद एवं उनका पपपुराण
.६८वा विधानक-देवतामों द्वारा प्राकाश से युद्ध का अवलोकन, रावण द्वारा चिन्ता करना ३३८ अनेक रूप में रावण का लड़ना, राबरण द्वारा चक्र चलाना ३३६ लक्ष्मण द्वारा चक्र प्राप्त करना ३४० ।
६६याँ विधानक-रावण का पश्चाताप ३४० विभीषण द्वारा लक्ष्मण को परामर्श, रावण का क्रोधित होना, लक्ष्मण द्वारा चक्र से रावण का वध करना ३४१ ।
७०वो विधानक-विभीषरण द्वारा विलाप, रावण की रानियों द्वारा विलाप, श्रेष्ठ मरन ३४३ परिगम की कथा ३४४ ।
७१वा विधानक-रावण का दाह संस्कार ३४५ कुभकएं एवं इन्द्रजीत को छोड़ना ३४६ मुनि का संघ सहित ग्रागमन, केवल ज्ञान प्राप्ति, धरणेन्द्र का प्रासन कंपित होना, र म द्वारा विचार करना ३४७ राम का मुनि के पास जाना, पूर्वभवों का वर्णन ३४८ ।
७२वा विधानक - राम लक्ष्मण का संका प्रवेश ३५० सीसा की दशा, राम सीता मिलन ।
७३वाँ विधानक लंका की शोभा, विभीषण द्वारा राम का स्वागत ३५३ त्रिविध व्यंजन, इन्द्रजीत मेघमाद द्वारा निर्धारण प्राप्ति ३५४ 1
७४माँ विधानक--नारद का अयोध्या प्रागमन, अपराजिता से प्रश्न ३५८ राम कथा नारद का संका में प्रागमन, राम द्वारा स्वागत ३५९ अयोध्या बर्णन, अयोध्या में राम द्वारा दूत भेजना ।
७५वा विधानक--- राम सीता का अयोध्या गमन, मार्ग परिचय, अयोध्या दर्शन, राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न मिलन ।
७६वां विधानक-अयोध्या वैभव, सीता की नगर में पर्या, भरत के मन __ में वैराग्य ३६५ राम भरत वार्ता, ३६६ उन्मत्त हाथी का अकस्मात प्रागमन ६६७ ।
७७याँ विधानक-भरत मा हाथी पर बढ़ना, हायों द्वारा सप साधना ३६८ ।
७८ओं विधानक—देश भूषण कुलभूषण मुनि पागमन १३६६-७६} भरत के पूर्व भव ३७६ ।
७९याँ विधानक-भरत द्वारा वैराग्य, कैकयी का बिलाप, कैकयी का वैराग्य ३७७ ।
वो विधानक- राम लक्ष्मण द्वारा दुःख प्रगट करना, राम का राज्याभिषेक ३७८ !