Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
२७
पीपूषवर्षिणो-टोका सू १६ भगवामहावीरस्वामिवर्णनम् वर-तुरग-सुजाय-गुज्झ-देसे आइपण-हउव्व णिरुवलेवे वरवारण-तुल्ल-विकम-विलसिय-गई गय-सप्तण-सुजाय-सन्निभोरू
वन इच वलित =क्षाम -कृश, मध्य =मयभागो यस्य स तथा, 'पमुइय-परतुरगसीह-चर-बटिय-कडी' प्रमुरित-वरतुरग-सिंहवर-चतित-कटि -प्रमुदितस्य रोगादिरहिततया प्रसन्नस्य, वरतुरगस्य-श्रेष्टहयस्य, ताशस्य सिंहस्य चे वरा श्रेष्ठा वत्तितावर्तुला, कटिर्यस्य स तथा, 'वर-तुरग सुजाय-गुज्झ-देसे ' वर तुरग-सुजात-गुह्यदेशवरस्य श्रेष्ठस्य अश्वस्येन सुजात सुन्दरो गुददेशो यस्य स तथा । 'आइण्णहउच्च णिरुखलेवे' आकाहय व निरुपलेप -आकार्ण =मुलक्षणयुक्त उत्तम जातीयो यो हय अश्व , स इव निस्पलेप =निर्गत उपलेपात्-मलिनसम्पर्कात् इति निस्पलेप -निर्मल इत्यर्थ । 'वर-चारण-तुल विक्रम-विलसियगई। वर-वारण-तुन्य-विक्रम विलसितगति -वरवारणस्य श्रेष्ठगजस्य तुन्य =समान विक्रम -पराक्रम , तथा तत्तुन्या विलमिताचरणसचरणरणनरहिता गतिर्गमन यस्य स , गजेन्द्रवदतुलनलगाली ललितगमनशीलश्चेति भाव । ‘गय-ससण सुजाय-सनिमोरू' गज-श्वसन-सुजात-सनिभोरु -गजश्वसनस्य हस्तिगुण्डादण्डस्य सुजातस्य सुष्ठत्पन्नस्य हस्तिश्वसनस्यैव सनिभौ-सदृगौ खल्जमुष्टि के मध्यभाग समान और व्रजके मयभाग समान पतला था । तथा (पमुइय-वरतुरग सीहवर-वट्टिय-कडी) कटिप्रदेश रोगादिकरहित होने से प्रसन्न श्रेष्ठ घोडे के समान और सिंह के समान गोल था। (वर-तुरग-सुजाय-गुज्झ-देसे) गुह्य प्रदेश मुदर घोडे के गुह्य प्रदेश के समान था । (आइण्णहउब्ध णिरुखलेवे) आकीर्ण जाताय घोडेके गुह्य प्रदेश के समान भगवानका गुह्य प्रदेश निरुपलेप था। तथा (वर-धारण-तल-विकम-विलसिय-नाई) भगवानका पराक्रम उत्तम हाथी के समान था, तथा उनकी गति भी उसीके समान सुन्दर थी। (गय-ससण-सुजाय-सन्निभोरू)हस्तिशुण्डा
મુઠીના મધ્યભાગ છે અને વાળના મધ્યભાગ જે પાતળો હતો તથા (पमुइय-परतुरग-सीह-पर-वट्टिय-कडी) प्रदेश २ माथी २हित
पाथी प्रसन्न श्रेष्ठ घोडानी पेठे मने सिडनी पे गाण तो (परतुरग-सु जाय-गुज्झ-देसें) गुह्महेश सुह२ घोसना गुाशना वो तो (आइण्णहउच्च णिस्वलेवे ) माती-पान घोडाना सुयशना ने लगवानने। गुहाशि नि३५५ ता तथा (वर-वारण-तुल्ल-विषम-विलसिय-आई) ભગવાનનું પરાક્રમ ઉત્તમ હાથીના જેવુ હતુ, તથા તેમની ચાલ પણ તેના