Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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मोपणातकपत्र
मूलम्-से जाओ इमाओ गामागर जाव सनिवेसेसु इत्थियाओ भवति, त जहा-अंतो अंतेउरियाओ गयपइयाओ मयपडयाओ वालविहवाओ छड्डियल्लियाओ माइरक्खियाओं
टीका-'से जाओ इमाओ' इत्यादि । 'से जाओ इमाओ' अथ या इमा ईटश्य 'गामागर जाव सनिवेसेस इत्थियाओ भवति' प्रामाऽऽकर यावत् सनिवेशेषु स्त्रियो भवति, 'त जहा' तद्यथा-'अतो अतेउरियाओं' अन्तरन्त पुरिका अन्त पुरातवेर्तिन्य, 'गयपइयाओ' गतपतिका -गता कापि प्रोपिता पतयो यासा तास्तथा, 'मयपइयाओ' मृतपतिका -मृता पतयो यासा तास्तथा, विधवा इत्यर्थ , 'वालविहवाओ' बालविधवा - बालाश्थामू विधवा -बाल्ये वैधन्य गता , 'छड़ियल्लियाओ' उदिता =पयादिमि परित्यक्ता, 'मादरक्खियाओ' मातृरक्षिता =अपररक्षकाभावाजनन्या रक्षिता , मातृकृतरक्षया शोलरक्षण कारिका इत्यर्थ , एवमग्रेऽपि बोध्यम् , 'पियरक्खियाओ' पितृरक्षिता , 'भायरक्खियाओ'
'से जाओ इमाओ' इत्यादि।
(से जाओ इमाओ) जो ये जीव (गामागर जार सनिवेसेमु) ग्राम आकर आदि से लेकर सनिवेशतक के स्थानों में स्त्रीपर्याय से उत्पन्न होते है, जैसे कि उनमें कित नीक स्त्रिया तो (अतो अतेउरियाओ) राजा के अत पुर की रानिया होती हैं, कितनीक (गयपइयाओ) प्रोषितभर्तृका होती हैं, जिनके पति प्रवासी अर्थात् परदेश गये हों उनको प्रोषितभर्तृका कहते है, फितनीक (मयपइयाओ) विधवा होती है, (वालविहवाओ) बालविधवा होती है, (छड्डियल्लियाओ) कितनीक पतिद्वारा परित्यक्त होती हैं, फितनीक (माइ रविवयाभो) मातृरक्षिता होती है, (पियरक्खियाओ) कितनीक पिता से सुरक्षित होती
से जाओ इमाओ' त्यादि
(से जाओ इमाओ) २ मा १ (गामागर जाव सनिवेसेसु) म આઝર આદિથી લઈને સનિશ સુધીના સ્થાનોમાં સ્ત્રીપર્યાયથી ઉત્પન્ન थायरम तमामा ४ी सीमा त (अतो अतेउरियाओ) सतना मत पुरनी थी। डाय छ, सी (गयपइयाओ) प्राषितमत डाय छ, (જેના પતિ પ્રવાસી અર્થાત્ પરદેશ ગયા હોય તેમને પ્રેષિતભર્તૃકા કહે छ), मी (मयपइयाओ) विधा हाय छ, सी (बालविवाओ) मास-विधवा डाय छ, (छडियल्लियाओ) eeी पतिवारा परित्या राय
seals (माइरक्खियाओ) भातृरक्षिता राय छ, (पियरक्खियाओ) ४८