Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
દાર
-
-
-
भोपवासियो धम्मेण चेव वित्ति कप्पेमाणा सुसीला मुबया सुप्पडियाणंदा साहहिं एगच्चाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावजीवाए, एग: चाओ अपडिविरया, एवं जाव पडिग्गहाओ, एगचाओ कोहाओ 'धम्मपलज्जणा' धर्मप्ररजना --धर्म प्ररज्यति आसनति-परायणा माति ये ते धर्म प्ररचना । 'धम्मसमुदायारा' धर्मसमुदाचारा-धर्म समुदाचार =मदाचारो येषा ते धर्मसमुदाचारा । 'धम्मेण चे वित्ति कप्पेमाणा' धर्मणेष वृत्ति कम्पयत धार्मिकजीविकया निर्वह त , 'मुसीला' सुशीला गोगनाचारवत 'मुबया' सुनता =शोमनत्रतवन्त । 'सुप्पडियाणदा' सुप्रत्यानदा -सुष्टु प्रयानन्द =चित्ताऽऽहदो येषा ते तथा, 'साहो' साधुम्य साधुसमीपात्-सावतिके प्रत्यारयाय 'एगचाओ' एकस्मात् रथूलरूपात न तु सर्वस्मात् 'पाणाइवायाओ' प्राणातिपातात्प रप्राणज्यपरोपणत , 'पडिविरया' प्रतिविरता =निवृत्ता , 'जावज्जीवाए ' यावजीव-जीवनपर्यन्तमियर्थ , 'एगचाओ अपोड विरया' एकस्मात् यूक्ष्मरूपात् अप्रतिविरता अनिवृत्ता ।' एव जावपरिग्गहाओं एवं अनुराग सपन्न होते है वे, धर्मसमुदाचार-धर्म ही जिनका उत्तम आचार हैं वे, (धम्मेण देव विर्ति कप्पेमाणा) तथा जो धर्म से ही अपनी जीविका चलाते हे वे, (सुसीला मुबया सुप्पडियाणदा) शोभन आचार जिनका है वे, सुनत-निरतिचार व्रतों के जो पालन करने वाले है वें, सुप्रत्यान द-जिनका चित्त सदा अच्छी तरह से आनदसपन्न रहा करता है वे, तथा जो (साहहि एगच्चाओ) साधु के समीप प्रत्याख्यान लेकर केवल एक (पाणाइवायाओ) स्थूल प्राणातिपातरूप से (जावज्जीवाए पडिविरया) जीवनपर्यन्त प्रतिविरत -निवृत्त रहते हैं। (एगच्चाओ अपडिविरया) परतु सूक्ष्मरूप प्राणातिपात से विरक्त नहीं रहते है वे, (एव जाव
પ્રરજન-ધર્મનું સેવન કરવામાં જે અધિક અનુરાગસ પન્ન હોય છે તેઓ
समुहाया२-धर्म भनी उत्तम माया छ तमा, (धम्मेण चेव वित्ति कप्पमाणा) तथा रे धर्मथा ४ चौतानु न यक्षाचे छ तया, (सुसीला सव्वया सुप्पडियाणदा) शासन याया२ना छ तेसो, सुरत-नितियार વ્રતનુ જેઓ પાલન કરવાવાળા છે તેઓ, સુપ્રત્યાન દ-જેમનું ચિત્ત હમેશા सारी रीते मानस पन्न २॥ ७२ छ तेसो, तथा रम्य। (साहि एगच्चाओ) साधुनी पासे प्रत्याज्यान मनपस मे (पाणाइवायाओ) २५सामातियात३५ पापथी (जावजीनाए पडिविरया) पनपर्यन्त प्रतिविरत-निवृत्त २ छ, (एगच्चाओ अपडिविरया) ५२तु सूक्ष्म प्रतिपातया वि२४त २खेत। नयी तमा, (एष जाव