Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
-
५३४
औपपातिकमरे जलवासिणो रुम्खमूलिया अवुभरिखणोवाउभक्खिणो सेवालभक्खिणोमूलाहारा कदाहारा तयाहारा पत्ताहारापुप्फाहारावीयाहारा भूमिगृहवासिन , 'जलयासिणो' जयासिन -ये जले प्रविष्टा एव निवसति त, 'रुस्खमूलिया' वृक्षमूलका--तरतले ये निवसति ते, 'अशुभशिवणो' अम्बुभक्षिणजलाहारकारिण , 'वाउभक्विणो' वायुभक्षिण =परनाहारा , 'सेवालभक्विणो' शैवालभक्षिण -शैवालजल्लता भक्षति त छीठा --जलोपरिस्थितरितपनस्पतिपिशपभोजिन इत्यर्थ , 'मूलाहारा' मूलाहारा -मूलानि आहरन्ति तलीला 'दाहारा' कन्ताऽऽहारा = सूरणादिक दक्षिण , ' तयाहारा' वगाहारा =निम्बानियग्भक्षिण , 'पत्ताहारा त्रा ऽऽहारा =बिन्चादिपरभक्षिण , 'पुप्फाहारा' पुप्पाऽऽहारा =कुन्दशोभाञ्जनादिपुर , 'वीयाहारा' बीजाऽऽहारा -कूष्माण्डादिनाजभोजिन , 'परिसडिय-कद-मूल-तयपत्त-पुप्फ-फला-हारा' परिशटित-कन्द-मूल-स्वर-पत्र-पुष्प-फला-ऽऽहारा -- परिशटित केनचिदानीत स्वय पतित च परिगटितम् , तादृशा कदमूल वपत्रपुष्पफलम् आहरति तच्छीला -केन चित् आनीतानि तस्भ्य स्वय पतितानि वा पापुष्पफलान्येव करने वाले, (जलवासिणो) जल में खडे रहने वाले, (रुक्रवमूलिया) वृक्ष के नीचे निवास करने वाले, (अबुभक्विणो) मात्र जल का आहार करने वाले, (वाउभक्विणो) मात्र वायु का ही आहार करने वाले, (सेवालभक्खिणो) मान शैवालका ही आहार करने वाले, (मूलाहारा) मात्र मूल का ही आहार करने वाले, (कदाहारा) सूरणादिक कढों का आहार करने वाले, (तयाहारा) त्वक्-छालका आहार करने वाले, (पत्ताहारा) बिच्च आदि के पत्तों का आहार करने वाले, (पुप्फाहारा) पुष्पो का आहार करने वाले, (परिसडियकद-मूल-तय-पत्त-पुप्फ-फला-हारा) तोड कर या स्वय लाये हुए नहीं, कि तु स्वय निवास ४२वावा, (जलवासिणो) सभाला २२वापाणा, (रुक्समूलिया) वृक्षनी नीय निपास ४२१वाणा, (अबुभरिसणो) भात्र पाणी माहा२ ४२ पापा, (वाउभरिसणो) मात्र पायुना माडा२ ४२वावा, (सेवालभक्सिणो) । भात रीवाना माहार ७२१ , (मूलाहारा) मात्र भूजन १ माडार ४२वाणा, (कदाहारा) सू२९ २हिना माडार ४२वावा , (तयहारा) पडू
दाना माडार ७२वावा, (पत्ताहारा) मीमी पाहि पानी माहा२ ४२१॥ पा, (पुप्फाहारा) पुष्पानी भाडा२ ४२११t, (सीयाहारा) मा आहिना पीननामाडार ४२वा, (परिसडिय-कद-मूल-तय-पत्त-पुप्फ-फलाहारा) तानि અથવા પિતે લાવેલ ન હોય પરંતુ પિતાની મેળે પડી ગયેલા અને કેઈએ