Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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परमाद : पाणी
पाद: ५८३
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गा-मोजिमा गा! 'नन्दन मिागरमल
पाया पडाका नावावर नवनगिया गरजवन पान गवादः ऊन-~ने
जमान्यात "नव वेवस्वविय 'महग' न्य जनबाजीगरप्रयागत गवळीमन् ॥ ३४ ॥
गा- ग्गिनवादि । अन्नदमण परि“नमण पनिगम नदि।
। जन्म दिया ) दम पवाडा में (यूलपाणावाए नागजीवाण) न्यून पगाल्यानमा गम्भीर परित्या किया है (गाव
है कन्यामागद मा, न्यूर नागन का न्यून परिग्रह का मी मोद"माया है। पर्म) पति ने नहुगे पत्रावाए जावज वाए) याई नैयन मानकिंग है किन्तु मम तो नने ममत्त प्रकार
जल पक्षिाम' - गदि।
कन्नर-पक्षिामा) टन सन्चङ पनिान के लिये विहा कन्तें नायिायालयात
(माइन्स पल्यिावान) मन् पन्निा (खुलपाणाझाए पन्या जागीमा ५. निन Are पब्स्यिार की. ( माम ला - E भूपापा-1, न्यू Halaltri, भ्यूटा पन्धन PE या पहिल्यायो (ण) (न्य मेहुणे वाल्या बाबीमा) २३८३१ रनना पहिल्या थी क्यों पर જ તે ને તેમના પ્રવો જરથુંક્ત ખ્યિાગ કર્યો છે (૩૪)
'अन्न पब्लिामाल' दि. (REE परियामा)
पति ने माटे विहार