Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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पीयूurrent- टीका सु. ३० भिक्षाचर्यातपोषर्णनम्
१३, अवणीय - उवणीयचरए १४, ससहचरए १५, अससट्टचरए १६, तज्जायसंसट्टचरए १७, अण्णायचरए १८, मोणचरए १९, निमायान्यन स्थापित तदेन अपनात, तथं चरति - इयपनीतचरक |१२| ' उवणीयअरणीय चरण' उपनानापनीतचरक -यदेन उपनीतम्-अयेन प्रेषित तदेव अपनात स्थानात स्थापित तदग्रहातु चरति इत्युपनानाऽपनीतचरक | १३ | 'अवगीय उत्रणीय चरए' अपनीतोपनानचरक —अपनीतम्=कम्मे चित अन्यस्मे तु नि मार्यान्यन स्थापित, तदेव उपनात यस्य गृहस्थस्य समीप प्रेषित तम्य गृहस्थस्य गृह प्राप्ति तपनीतोपनात त चरता यपनीतोपनतिचरक |११| ‘ससद्वृचरए' ससृष्टचरक -मसृष्टेन=परण्टितैन हस्तादिनाश्रीयमान ससृष्टमुच्यते, तद् ग्रहातु चरति इति ससृष्टचरक | १५ | 'अससहचरए' अससृष्टचरकअससृष्टेन=अग्रण्टितेन चरति - नृत्यसृष्टचरक | १६ | ' तज्जायससट्टचरए ' तज्ज्ञातमसृष्ट्रचरक - तातेन परिनिष्यमाणत्रयेण यत्ससृष्ट हस्तानि तेन दीयमान वस्तु ग्रहांतु यदूसरे को देन के लिये निकाल कर रूप दिया होगा । १३ - ( उवणीय अवणीय-चरए) उपनी-अपनीतचरक में वही पदार्थ लूगा जो उस दाता के लिये किसी दूसरेने उसके पास गजा होगा, और ढाताने उसी पदार्थ को यदि दूसरे को देने के लिये एक तरफ
टोटा होगा । १४ - ( अवणीय - उवणीय - चरए) अपनीत उपनीतचरक - किसी गृहस्थने किसा व्यक्ति को देने के लिये अन्नादिक अन्यत्र स्थापित कर रम्या होगा और उसको उसने उसके यहा भेज दिया होगा, तथा वह उसके घर भी पहुँच चुका होगा, उसमें से देगा तो लूगा । १५ - (ससट्टचरए) ममृष्टचरक - भरे हुए हाथ से देगा तो लूगा । १६ - (अमसहचरए) अममृष्टचरक - विना भरे हुए हाथ से देगा तो लूगा । १७ (तजायससट्टचरए ) तज्ज्ञातममृटचरक - हाथ जिस चीज से ससृष्ट भरा रहा होगा, वही चीज यदि तेथे मील जेई भाथुसने देवाने भाटे डाढी रामेो होय [13] ( अणीयजवणीयचरण) अपनी-अपनीत-थर- ते ४ पहार्थ सर्धश ने बेह ખીજાએ તે દાતાને માટે તેની પાસે મેળ્યેા હેય અને દાતાએ તે જ પટ્ટાને नई जीनने हेवा भाटे भेट तर राणी भूभ्यो होय [१४] ( अवणीय जणीयचरए) अपनीत - उपनीत - २४ - नेध गृहस्थे । व्यक्तिने हेवा भाटे
મન્નાદિ ખીજે ઠેકાણે રાખી મુકેલુ હોય અને તે તેણે તેને ત્યા મોકલી દીધુ હોય અને તે તેને ઘેર પણ પહેાચી ગયુ હાય તેમાથી આપશે તે લઈશ [१५] (मसट्टचरण) ससृष्टयर-शाह आहिथी लरेसा हाथथी सायशे तो ३६)श (१६) (अससट्टचरए) अस सृष्टय२४ वगर लरेसा हाथथी आयशे तो सधैश
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