Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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औपपातिक्सरे
पसत्थारो मलई लेच्छई लेच्छडपुत्ता अपणे य वहवे राई-सरतलवर-माडविय-कोडंदिय-इव्भ-सेटि-सेणावड-सत्यवाहयकुमाराश्च, 'बत्तिया' क्षत्रिया , क्षत्रियकुमाराश्च, 'माहणा' पालणा ,नामगरमागश्र, भडा' भटा भटकुमाराच, 'जोहा' योधा --युद्धव्यवसायवन्त , तपा कुमाराश्य, 'पसत्यारो'प्रगास्तार धर्मशास्त्रपाठमा , तेपा पुनाथ, 'मलई मलकिन =पिशिष्टक्षत्रियजाताया , तेपा पुत्राश्थ, 'लेच्छई लेफिन -क्षत्रियजातिमेढवत , 'लेच्छइपुत्ता' टेच्छफिपुत्रा , 'अण्णे य वहवे' अये च वव 'राई-सर-तलपर-माडविय-कोडंपिय-इन्भ-सद्वि-सेणावइ-सत्य वाह-पभिडओ' राजे-श्वर-तलपर-माडम्बिक-कौटुम्बिो-भ्य-प्रेष्टि-सेनापति-सार्थवाह प्रभृतय , तन-राजानो-माण्डलिका नरपतय , ईश्वरा ऐश्वर्यग्नपना युवराजा , तग - तुष्टभूपालदत्तपटवन्धपरिभूपिता राजकल्पा , माउम्बिका ग्रामपञ्चगतीपतय , यद्वा-सार्धकोगद्वयपरिमितप्रातरैर्विच्छिय विच्छिय स्थिताना प्रामाणामधिपतय , कौटुम्बिका युटुम्नभरण तपरा , क्षत्रिय और उनके पुन, (माहणा) नाह्मण और ब्राह्मणपुत्र, (भडा) भट और भटपुत्र, (जोहा) योवा-युद्ध के व्यवसायवाले व्यक्ति और उनके पुन, (पसत्यारो) धर्मशास्त्रपाठक और उनके पुत्र, (मलाई) मल्लकी-मल्लकि जाति के क्षत्रिय और उनके पुत्र,(लेच्छई) लेच्छकी-लेच्छकी जाति के क्षत्रिय और (लेच्छापत्ता) लेच्छकियों के पुन, तथा और भी बहुत से (राई-सर-तलवर-माडविय-कोदविय-इन्भ-सेद्रि-सेणार-सत्थ बाह-प्पभिइओ) राजा-माडलिक नृपति, इश्वर-ऐश्वर्यसंपन्न युवराज, तलवर-मतुष्ट हुए नृपतिद्वारा प्रदत्त प.बध से परिभूषित राजा जैसे विशिष्ट व्यक्ति, माडविक-पाचसौ गाव के अधिपति, अथवा ढाइ २ कोस पर बसे हुए ग्रामों के स्वामा, कादम्बिक-अपने -कुटु म्ब का भरग-पोपग करने वाले, अथवा-बहुत कुटुम्ब का पालनपोषण करने वाले, इभ्य तथा तभना पुत्र, (माणा) प्राण तथा ब्राह्मणुपुत्र, (भडा) मट तथा कट पुत्र, (जोहा) योद्धा-युद्धमा व्यवसाय तथा तमना पुत्र, (पसत्यारो) धर्मशाखा तथा तेमना पुत्र, (मलाई) भस-भसजतिना क्षत्रिय माने तना पुत्र, (लेच्छई) छी-छी तिना क्षत्रिय तथा (लेच्छइपुत्ता)
छमियान पुत्र तथा मीत पर ध। (राई-सर-तस्पर-माडरिय-कोडुबिय इन्भ-सेट्रि-सेणापइ-सत्यवाह-पभिइओ) २२१-मासिक पति, वर-मैश्वर्य૨ અને યુવરાજ, તલવાર–સ તેષ પામેલા નૃપતિ દ્વારા પ્રદત્ત પટ્ટબ ધથી પરિભૂષિત રાજા જેવા વિગિષ્ટ લેડ, માંડ બિક-પાચ ગામના અધિપતિ, અથવા અઢી ૨ કોમ પર વસેલા ગામના સ્વામી, કૌટુંબિક-પિતાના કય બને ભરણ-પોષણ કરવાવાળો, અથવા ઘણા કુટુંબના પાલન પણ કરવા