Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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पीयूषयपिणो टोका सू ३८ भगवदर्शनार्थ जनोत्सुक्यम्
३५७ मूलम्-तए ण चपाए णयरीए सिंघाडग-तिग-चउक-चच्चरचउम्मुह-महापह-पहेसु महया जणसद्दे इ वा जणवूहे इ वा
टीका-'तए ण' इत्यादि । तत =नदनन्तर-चतुर्निकायदेवानामागमनाऽन तर, सलु 'चपाए णयरीए' चम्पाया नगर्याम् 'सिंघाडग-तिग-चउक्फ चच्चरचउम्मुह-महापह-पहेसु' शृङ्गाटक-तिक-चतुष्क-च वर-चतुर्मुख-महापथ-पथेपु-तत्रशृगाटक-'सिंगाडा' इति भाषाप्रमिद् जलज फल, तदाकार स्थान, त्रिकोणमियर्थ , निफ-मिलितत्रिमार्गस्थानम्, चतुप्फयन चवारो मागा मिलिता सन्ति तत्-'चोराहा' इति भाषाप्रसिद् स्थानम्, च वर=बहुमार्गसमेलनस्थानम् , चतुर्मुग्व-चतुद्वार स्थानम्-आगन्तुकाराना विश्रामस्थानम् , महापथ राजमार्ग, पथा -रथ्यामात्रम्, तेषु सर्वेषु स्थानेषु यत्र 'महया जणसदे इ वा महान् जनगड -परस्पराऽऽलापादिरूपो भवति 'उकारो' वाक्यालड्दागर्थ , 'वा'-प्रकारार्थ , तथा 'जणवृहे इ वा जनयूह -लोकसमूह , 'जण
'तए ण चपाए णयरीए' दयादि।
(तए ण) चतुर्निकाय के देवों के आगमन के अनन्तर (चपाए णयरीए) चपा नगरा मे (सिंघाडग-तिय-चउक्-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु) शुगाटकतीनकोनवाले स्थान पर, निक-जहा पर तीन रास्ते आफर मिलते है ऐसे स्थान पर, चतुष्क-जहा पर चार मार्ग आकर मिले रहते है ऐसे चौराहे पर, चत्वर-अनेकमार्गोका समेलन जहाँ होता है ऐसे स्थान पर, चतुर्मुस-आगन्तुक जनों के विश्रामार्थ निर्मापित स्थान पर, महापथ-राजमार्ग पर, एव पथ अर्थात जहाँ से गली निकलती हो ऐसे स्थान पर, (महया जणसद्दे इ वा) महान् जन शब्द होने लगा-परस्पर मिलजुल कर लोग बातचीत करने लगे। (जणवहे इ वा) एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से पूछने लगा, अथवाપૂર્વે કહેલા અસુરકુમારની પેઠે ત્રણવાર અ જલિપૂર્વ સવિધિ વદન કરીને પ્રભુની સેવા કરવા લાગ્યા (સૂ ૩૭)
'तए ण चपाए णयरीए' ऽत्यादि
(ताए ण) यतुनियना हेवाना मागभन ५७ (चपाए णयरीए) या नगरीमा (सिंघाडग तिय चउक चच्चर-चउम्मुह महापह पहेसु) शगाटक-त्रण
जुवाका स्थान ५२, त्रिक-न्या त्रण २२ता मापाने भणे छ सेवा स्थान पर, चतुष्क- या२ भाग मावाने भणे ये सेवा यौटा ५२, चत्वर-मने। भागानु सभेसन न्या थाय छे सपा स्थान ५२, चतुर्मुख-मापना२ भार सोना विश्राम भाटे ४४२२ ४रेसा स्थान ५२, महापथ-शसभा ५२, मेष पथ-अर्थात् 4थी सी नाणी डाय तवा न्यानो ५२, (महया जणसद्दे इ वा) મહાન જન-શબ્દ થવા લાગ્યા-પરસ્પર મેલામલાપ ૮રી લે વાતચીત