Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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पीयूषयपिणी-टीका २३ भगवदन्तेवासिवर्णनम
१४९ परियाया, तिमासपरियाया जाय एकारसमासपरियाया, अप्पेगइया वासपरियाया, दुवासपरियाया, तिवासपरियाया, अप्पेगइया अणेगवासपरियाया सजमेण तवसा अपाण भावमाणा विहरंति ॥ सू २३ ॥ पयाया यावदेकाठामासपयाया, केचिर्पपयाया , कचिद् द्विवर्षपयाया , केचित् त्रिवर्षपयाया , केचिन्नकवर्षपयाया , 'सजमेण' र यमेन समदनिधन, तपसा कर्मनिवारकेण द्वादयविधेन ' अप्पाण' आत्मान 'भावेमाणा' भावयन्तो पिहरन्ति ।। मू० २३ ॥ महिने हुए थे । (अप्पेगइया वासपरियाया दुवासपरियाया तिवासपरियाया) कितनेक इनमे ऐसेभा थे कि जिन्हे दीक्षा लिये हुए १ दर्प, २ वर्ष, एव तानपर्प आदि हो चुके थे। ( अप्पेगदया अणेगवासपरियाया) कितनेक एसे भी मुनिजन थे जिन्ह दीक्षा लिा हुए अनेक वर्ष व्यतीत हो चुके थे। ये सबके सर मुनिजन (सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरति) १७ प्रकार के सयम से एव १२ प्रकारके तपसे अपनी आत्माको भानित करत हुए विचरते थे ।।।
भावार्थ-भगवान महावीर प्रभुकी शिप्यमडली मे अनेक मुनिजन थे। कोइ उग्रकुलके थे, कोइ भोगालके थे, कोड राजन्यकुलके थे। कोई कौरव वश के थे, कोइ क्षनियवश क थे। कितनेक भट-सामान्य वीर, योगा, सापति, 'पशासक, श्रेष्ठी और इभ्य आदि थे। विनय विज्ञान आदि अनेक सद्गुणा से सपन्न वे मुनिजन दीक्षा लेने के पहिले अनेक प्रकार के धनादिक से, एव भोगोपभोग का सामना वासपरियाया दुवासपरियाया तिवासपरियाया) 3टमा तमामा सेवा पर હતા કે જેમને દીક્ષા લીધાને ૧ વર્ષ, ૨ વર્ષ, તેમજ ત્રણ વષ આદિ થઈ गया उu (अप्पेगइया अणेगवासपरियाया) डेटायड मेवा पर मुनि ताडे જેઓને દીક્ષા લીધાને અનેક વર્ષ વીતી ગયેલા હતા તે તમામે તમામ મુનિજને (सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणा विहरति) १७ प्रारना यमयी तेभ०० १२ પ્રકારના તપથી પિતાના આત્માને ભાવિત કરતા થતા વિચરતા હતા
ભાવાર્થ–ભગવાન મહાવીરે પ્રભુની શિષ્યમ ડલીમાં અનેક મુનિજને હતા કેઈ ઉગ્રકુળના હતા, કોઈ ભેગકુળના હતા, કોઈ રાજન્યકુળના હતા, કઈ કૌરવ વશના હતા કેઈ ક્ષત્રિય વંશના હતા, કેટલાએક ભટ સામાન્યવીર યોદ્ધા-વિશિદવીર, સેનાપતિ, પ્રશાસક, શ્રેષ્ઠી અને ઈભ્ય આદિ હતા વિનય વિજ્ઞાન આદિ અનેક સદગુણથી સપન એવા આ મુનિજન દીક્ષા લીધા પહેલા