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अज्झापित
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अज्झावसति
2. कर्म. वा. में - किया गया अपराध - न्ना स्त्री., प्र. वि., अज्झायति अधि + vs का वर्त., प्र. पु., ए. व., [अध्येति], ए. व. -- आपत्ति अज्झापन्ना वा होति, महाव. 131, स. उ. कण्ठस्थ करता है, अध्ययन करता है, पढ़ता है, स्मरण प. के रूप में अनज्झा., अत्तज्झा. के अन्त. द्रष्ट; - क करता है - तं अज्झायतीति अज्झायको, दी. नि. अट्ट. त्रि., अज्झापन्न से व्यु., उपरिवत् - को पु., प्र. वि., ए. व. 1.200; तुल. अज्झेति, अधीयति, अधीते, सज्झायति.. -- अन्तिमवत्थु अज्झापन्नको पटिजानाति, महाव. 151. अज्झाराम निपा., अधि + आरामे, आराम के भीतर, आराम अज्झापित त्रि., झापित का निषे., भस्म नहीं किया। अर्थात् बौद्धविहार के अन्तःपरिसर में - न च, भिक्खवे, गया, नहीं जलाया गया - ते नपुं., सप्त. वि., ए. व. - न । अज्झारामे उपाहना धारेतब्बा, महाव. 261, हि मतसरीरे अज्झापिते तं सुसानं नाम होति, विसुद्धि. अज्झारुळ्ह त्रि., अज्झारुहति का भू. क. कृ., 1. अधिक 1.75.
ऊपर उठा हुआ, उन्नत, समुन्नत - ळ्हा पु.. प्र. वि., ब. अज्झापीळित त्रि०, अधि + आ + /पीळ का भू. क. कृ., व. - येहि रुक्खा अज्झारुळ्हा ओभग्गविभग्गा विपतिता अत्यन्त उत्पीड़ित, अतिशय संतप्त, अत्यंत कृशता को प्राप्त । सेन्ति , स. नि. 3(1).117. - ता पु., प्र. वि., ब. व. - खुप्पिपासाय अज्झापीलिता, पे. अज्झारुह त्रि., [अध्यारुह], शा. अ. भीतर से बाहर की व. अट्ठ. 157; पाठा. अट्टा पीळिता.
ओर या बाहर से भीतर की ओर उठते हुए उत्पन्न होने अज्झापेक्खिंसु अज्झ + अप + Vइक्ख का अद्य०, प्र. पु... वाला, ला. अ. 1. पराश्रयी, परजीवी- हा पु., प्र. वि., ए. ब. व., लापरवाही किया, परित्याग किया, अवहेलना की, व. - भिक्खवे, महारुक्खा अणुबीजा, महाकाया रुक्खान तिरस्कार किया - येन किच्चेन सम्पत्ता, अज्झापेक्खिंस अज्झारुहा, स. नि. 3(1).117, जा. अठ्ठ. 3.353; तावदे, अप. 1.185, तुल. अज्झुपेक्खिंसु.
निग्रोधादयो रुक्खा अज्झारुहा हुत्वा महन्तम्पि अझं वनप्पति अज्झाभव पु.. अधि+ आ + भू से व्यु., आधिपत्य पराभव, अतिक्कम्म ववन्तीति, तदे.; 2. अभिभूत करने वाला, दबाने परस्पर व्यवहार, समागम - पुब्बेवज्झाभवं तस्स, रक्खे वाला - पञ्चिमे भिक्खवे आवरणा नीवरणा चेतसो अज्झारुहा अक्खीव पण्डितो, जा. अट्ठ. 2.296.
पञआय दुब्बलीकरणा, स. नि. 3(1).117. अज्झाभवति अधि + आ + vभू का वर्त, प्र. पु., ए. व., अज्झारुहति अधि + आ + रुह का वर्त, प्र. पु., ए. व., अत्यधिक अभिभूत करता है, विशेष रूप से पराभूत करता परोपजीवी लता की तरह किसी को चारों तरफ से लपेट है - यथा नं सो न अज्झाभवति .... जा. अट्ठ. 2.297. लेता है, भयभीत करता है, अत्याचार करता है - अज्झारुहति अज्झाय पु.. [अध्याय]. खण्ड, किसी ग्रन्थ का एक भाग, दुम्मेधो, गोव भिय्यो पलायिनान्ति, स. नि. 1(1),256; पाठा. सर्ग - सग्गोज्झाये दिवेप्यथ, अभि. प. 911.
अज्झोसहति. अज्झायक' पु., अज्झायति से व्यु. [आध्यायिक, अध्यायिन]. अज्झारोह पु०, विशाल पांच सौ योजन लम्बी एक बड़ी अध्ययन करने वाला, अध्ययनशील, वेदों को पढ़नेवाला, मछली - आनन्दो च तिमिन्दो च अज्झारोहो महातिमि, वेदपाठी, वेदों के पाठ में पारङ्गत, वेदज्ञ - अन्तेवासी होति अभि. प. 673, अतीतस्मिहि काले महासमुद्दे छ महामच्छा अज्झायको मन्तधरो तिण्णं वेदानं पारगू, दी. नि. 1.76; अहे . तेसु आनन्दो तिमिनन्दो अज्झारोहोति इमे तयो अज्झायकोपि चे अस्स, तिण्णं वेदानं पारगू, थेरगा. 1180; मच्छा पञ्चयोजनसतिका, जा. अट्ठ. 5.459. अज्झायको याचयोगी, आहुतग्गि च ब्राह्मणो, जा. अट्ठ. अज्झावर पु., सहचर, साथी, समवाय, समूह - रं द्वि. वि., 7.45; - कुल नपुं.. वेदमन्त्रपाठी ब्राह्मणों का परिवार या ए. व. - भवन्तं अज्झावरं कत्वा, सोणं याचेमु संवर जा. वंश - अज्झायककुले जाता, ब्राह्मणा मन्तबन्धवा, सु. नि. अट्ठ. 5.309, संभवतः अज्झाचार के स्थान में प्रयुक्त अप.. 140; अज्झायककुले जाता ति मन्तज्झायके ब्राह्मणकुले अज्झावसति अधि + आ + Vवस का वर्त, प्र. पु., ए. व. जाता, सु. नि. अट्ट, 1.153.
[अध्यावसति]. शासक या अधिपति के रूप में निवास अज्झायक पु., झायक का निषे., ध्यान-विरहित, ध्यानविपन्न, करता है, विशिष्ट प्रकार की जीवनपद्धति में आनन्द लेता ध्यान न करने वाला - का प्र. वि., ब. व. - न दानिमे है - सचे अगारं अज्झावसति राजा होति चक्कवत्ति, सु. नि. झायन्तीति खो, वासेट्ट, अज्झायका ... झानविरहितानं (पृ.) 166; एसो अरियसावको विजितसङ्गामो तमेव सङ्गामसीसं ब्राह्मणानं गरहवचनं, दी. नि. अट्ठ. 1.200.
अभिविजिय अज्झावसतीति, इतिवु. 55; - सि म. पु., ए.
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