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अनिदान
- अनिदस्सनञ्च वो, भिक्खवे, देसेस्सामि अनिदस्सनगामिञ्च मग्गं. स. नि. 2 (2).342.
अनिदान त्रि, निदान का निषे, ब० स० [अनिदान ], कारणरहित, हेतु-प्रत्यय-रहित, निराधार, अनिमित्त सनिदानं समणो गोतमो धम्मं देखेति नो अनिदानं, म. नि. 2.211 सनिदान, भिक्खवे, उप्पज्जति कामवितक्को, नो अनिदान, स. नि. 1 (2). 133.
अनिद्दि त्रि, निद्दिट्ठ का निषे, तत्पु स० [ अनिर्दिष्ट], विस्तार के साथ अप्रकाशित, वह, जिसका स्पष्ट रूप से संकेत अथवा उल्लेख नहीं किया गया है पावचनस्मिं हि रूहि अनिद्दिद्वानिपि अनेकविहितानि निपातपदानि सन्दिस्सन्ति, सद 1.300 लक्खण त्रि. ब. स. वह जिसके लक्षणों का स्पष्ट रूप से कथन नहीं किया गया है। ये सदा अनिक्खिणा, क. व्या. 393 सद्द. 3,800. अनिद्धन्त त्रि. निद्धन्त का निषे, तत्पु० स० [ अनिध्मात], नहीं धाँका हुआ, परिशुद्ध न किया हुआ, अविशोधित, फूंक कर न हटाया हुआ - तं होति जातरूपं धन्तं सन्धतं निद्धन्तं अनिद्धन्तकसावं, अ. नि. 1 ( 1 ).286. अनिद्धारित त्रि, निद्धारित का निषे, तत्पु० स० [ अनिर्धारित ], निर्धारित न किया हुआ, वह, जिसका निश्चित रूप से निर्धारण नहीं हुआ है; - सामत्थिय त्रि०, ब० स०, वह जिसकी सक्षमता का निश्चय नहीं हुआ है किं अनिद्धारितसामत्थियेन अन्तराभवेन परिकप्पितेन पयोजन, उदा. अट्ठ. 74.
अनिद्धि त्रि. इद्धि का निषे, ब० स० [ अनृद्धि], ऋद्धि अथव धनधान्य से रहित, निर्धन दरिद्र, अभागा - अनिद्धिनं, महाराज, दमेतस्संव सारथि, जा. अट्ठ. 7.368; अनिद्धिं असमिद्धिं दलिदपुरिसं नाम -.. जा. अट्ठ. 7.363; . क त्रि. इद्धिक का निषे, व. स. [अनृद्धिक], उपरिवत्
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ते मयं... अनिद्धिका दन्ता ... असमिद्धि येव नो दमेति, जा. अ. 7.368 मन्तु त्रि. निषे, तत्पु, स. [अनृद्धिमत् ]. क. उपरिवत् - न केवलं ता नारियोव, अथ खो सब्बे अनिद्धिमन्तोपि सत्ता तस्स उपभोगा भवन्ति, जा. अट्ठ 6. 189; ख. वह जिसमें ऋद्धियां अथवा अलौकिक शक्तियां न हों - यो पन तत्थ अनिद्धिमा .... मि. प. 246. अनिधानगत क्रि निधानगत का निषे, तत्पु. स. [अनिधानगत], असञ्चित, वह जिसे पुञ्जीभूत अथवा एकत्रित नहीं किया गया है, छिन्न-भिन्न अनिधानगता भग्गा, पुञ्जो नात्थि अनागते महानि, 31... ये खन्धा भिन्ना
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अनिपकवुत्ति
ते निधानं निहितं निचयं न गच्छन्तीति अनिधानगता, महानि, अड. 119.
अनिधानवन्तु त्रि, निधानवन्तु का निषे०, का निषे तत्पु, स. [ अनिधानवत्] सुरक्षित करने अथवा संग्रह करने के लिए अनुपयुक्त, वह, जो, सुदृढ़ आधार पर न खड़ा हो, मन में न रखने योग्य गम्भीर तात्पर्य से रहित - अनिधानवतिं वाचं भासिता होति म. नि. 1.360; अनिधानवतिं वाचंति हृदयमञ्जुसायं निधेतुं अयुत्तं वाचं, म. नि. अट्ठ० ( मू०प०) 1 (2). 227; निधानं युच्चति उपनोकासो, निधानमस्सा अत्थीति निधानवती, हृदये निधातब्बयुत्तकं वाचं भासिताति दी. नि. अ. 1.71 अनिधानवतिं ति न हृदये निघेतब्बयुत्तकं
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अ. नि. अट्ठ. 2.259.
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अनिन्दारोस पु. इ. स. [ अनिन्दारोष ] निन्दा रोष या क्रोध का अभाव - अनिन्दारोसं निस्साय निन्दारोसो पहातब्बो, म. नि. 2.25; अनिन्दारोसन्ति अनिन्दाभूतं अघट्टनं. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.29. अनिन्दित त्रि, निन्दित का निषे, तत्पु॰ स॰ [अनिन्दित], वह जिसकी निन्दा न हो रही हो, अनिन्दनीय, निन्दा-रहित • नत्थि लोके अनिन्दितो ध. प. 227; अनिन्दितो सग्गमुपेति ठानं. स. नि. 1 ( 1 ) 109 तज्ञ त्रि, ब स सुन्दर अङ्गों वाला / वाली - पासादमारुय्ह अनिन्दितङ्गी ति पादन्ततो याव केसग्गा अनिन्दितसरीरा जा. अह. 4.95; तब्बलोचन त्रि., ब॰ स॰ [अनिन्दितव्यलोचन ], सुन्दर नेत्रों वाला / वाली अनिन्दलोचनेति अनिन्दितम्बलोचने जा. अड. 7.156. अनिन्दिय त्रि. निन्दिय का निषे, तत्पु. स. [ अनिन्दय]. अनिन्दनीय, उत्तम, उत्कृष्ट, प्रशंसनीय परमसुन्दर अनिन्दियो धम्मकायो, अप. 2.201 थेरीगा. अड. 161. पाठा. अनिन्दित.
अनिन्द्रियबद्ध त्रि. निषे, तत्पु, स [अनिन्द्रियबद्ध ]. संज्ञाविहीन, चेतनाविहीन, निर्जीव अविञ्ञाणकं अनिन्द्रियबद्धसुवण्णरजतादि खु. पा. अट्ठ. 141; असञ्ञकायन्ति अनिन्द्रियबद्ध अधितकायञ्च ... जा. अड.
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7.55.
अनिन्धन त्रि, निषे, ब. स. [ अनिन्धन] बिना ईंधन वाला, जलावन अथवा ईंधन से रहित अनेधो धूमकेतूवाति अनिन्धनो अग्गि विय, जा. अड्ड 4.25; अनाहारोति अनिन्धनो, थेरगा. अट्ठ. 2.223. अनिपकवृत्ति त्रि, निपकवृत्ति का निषे०, ब० स० [अनिपकवृत्ति ], अविवेकपूर्ण जीवन जीने वाला अनेसनाय
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